पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी समझनी होगी: - प्रो. लोथार क्रिन्टिज
पर्यावरण में मानवीय दखल के कारण जीवों के प्राकृतिक आवास पर विपरीत असर पड़ रहा है, जिसके कारण जीव-जंतुओं की विभिन्न प्रजातियों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। यह बात जर्मनी के लेबनीज इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेश वाटर इकोलॉजी एंड इनलैंड फिशरीज से जुडे़ मशहूर जीव विज्ञानी प्रो. लोथार क्रिन्टिज ने शनिवार को वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी (वीएमओयू) के गांधी भवन में आयोजित एक परिचर्चा में कही।
प्रो. क्रिन्टिज ने राजस्थान के प्रसिद्ध केवलादेव पक्षी विहार समेत देश के विभिन्न स्थानों पर आने वाले फ्लेमिंगो (एक प्रवासी पक्षी) का हवाला देते हुए बताया कि विभिन्न मानवीय क्रियाकलापों के कारण इन पक्षियों के प्राकृतिक जलीय आवास खतरे में पड़ गए हैं। भोजन की तलाश एवं प्रजनन के लिए दूर देश से आने वाले फ्लेमिंगो विभिन्न जलस्रोतों को अपना आशियाना बनाते हैं। लेकिन झीलों एवं नदियों का पानी इस हद तक प्रदूषित हो गया है कि इसके असर से सुंदर पंखों वाले फ्लेमिंगो भी बच नहीं पाए हैं।
झीलों के पानी में मौजूद विषैले तत्व फ्लेमिंगो के शरीर में भी जहर घोल रहे हैं और इसके प्रभाव से बचने के लिए उन्हें खुद को अनुकूलित करना पड़ता है। प्रो. लोथार ने बताया कि झीलों के जहरीले पानी से अनुकूलन स्थापित करने के लिए फ्लेमिंगो विषैले तत्वों को फर में परिवर्तित कर लेते हैं। उन्होंने कहा कि मानवीय क्रियाकलापों से प्रदूषित हो रहे पर्यावरण को बचाने के लिए लोगों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। परिचर्चा की शुरूआत में वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ प्रोफेसर पीके शर्मा ने प्रतीक चिन्ह भेंट करके प्रो. क्रिन्टिज का स्वागत किया, जबकि कार्यक्रम के अंत में एडिशनल रिसर्च डायरेक्टर श्री आरआर सिंह ने उनका आभार व्यक्त किया। इस मौके पर राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रो. पवन दाधीच समेत वीएमओयू के विभिन्न विभागों के फैकल्टी मेंबर और शोधार्थी भी मौजूद थे।
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