किसान यूनियन की मंडी बन रहा बुंदेलखंड .....!
किसान के बीमार मुद्दों से हलाकान उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड का किसान अपने नाम पर बनाये जा रहे छद्म संगठनों से ही परेशान है l पुरे देश की तरह पहले यहाँ भी एक मात्र भारतीय किसान यूनियन थी l चौधरी टिकैत से हुए वैचारिक मतभेद और मंचाशाही गद्दी से भ्रमित हुए अगले पक्ष ने भारतीय किसान यूनियन ( शरद जोशी गुट ) का गठन कर दिया l
देश के अन्य हिस्सों की तरह ये बुंदेलखंड में भी अवतरित हुआ l अब तक दो गुट थे किसान मुद्दों पर अपनी - अपनी दावेदारी करने को l मगर पिछले दो एक साल के अन्दर चित्रकूट मंडल में ये 5 किसान नाम के छद्म बैनर भी जनम ले चुके है l
जिनका मकसद अपनी राजनितिक चौपाल को पुख्ता करना l चुनाव में विधायक और सांसदों से किसान वोटो की ठेकेदारी बतलाकर रुपया ऐठना l यहाँ तक कि गाँव में जाकर अनपढ़ किसानो से 120 रूपये प्रति किसान सदस्य के नाम पर उगाही करना l सरकारी स्कीम की दलाली खाना ये इनके अपने काम है l अब चलिए ये नाम भी पढ़ लेवे जिनका न किसान सरोकार होता है , न इन्हे किसानी की जानकारी होती है और इन्हे ही गाँव का किसान अपने शब्दों में गालियाँ देता है अपनी समस्या हल न होने पर l एक साहेब तो अपने संघठन के नाम पर बाँदा में गत 8 महीने से कचहरी में धरना प्रदर्शन के नाम पर तम्बू ताने है .....जो ज़मीन सरकारी है - वो जमीन हमारी है l
ये कुछ नाम है - भारतीय किसान सेना , बुंदेलखंड किसान यूनियन , बुंदेलखंड किसान सेना , गत 14 दिसंबर को बनी हिंदुस्तान किसान यूनियन ( इसका राष्ट्रीय अध्यक्ष पहले बुंदेलखंड किसान यूनियन का सचिव था , उससे निकाला गया तो अपनी नई सेना बना ली है ) ........कहाँ जायेगा कर्जखोर और सूखे से जूझते बुंदेलखंड के किसानो का मुकद्दर जब उनके नाम पर बने ये यूनियन महज तमाशे के लिए बन कर रह गए है l इनकी अपनी मंचासीन बैठको में गाँव का किसान नदारद होता है ....क्यों ?
( तस्वीर में बुंदेलखंड के बाँदा का किसान, नरैनी )
देश के अन्य हिस्सों की तरह ये बुंदेलखंड में भी अवतरित हुआ l अब तक दो गुट थे किसान मुद्दों पर अपनी - अपनी दावेदारी करने को l मगर पिछले दो एक साल के अन्दर चित्रकूट मंडल में ये 5 किसान नाम के छद्म बैनर भी जनम ले चुके है l
जिनका मकसद अपनी राजनितिक चौपाल को पुख्ता करना l चुनाव में विधायक और सांसदों से किसान वोटो की ठेकेदारी बतलाकर रुपया ऐठना l यहाँ तक कि गाँव में जाकर अनपढ़ किसानो से 120 रूपये प्रति किसान सदस्य के नाम पर उगाही करना l सरकारी स्कीम की दलाली खाना ये इनके अपने काम है l अब चलिए ये नाम भी पढ़ लेवे जिनका न किसान सरोकार होता है , न इन्हे किसानी की जानकारी होती है और इन्हे ही गाँव का किसान अपने शब्दों में गालियाँ देता है अपनी समस्या हल न होने पर l एक साहेब तो अपने संघठन के नाम पर बाँदा में गत 8 महीने से कचहरी में धरना प्रदर्शन के नाम पर तम्बू ताने है .....जो ज़मीन सरकारी है - वो जमीन हमारी है l
ये कुछ नाम है - भारतीय किसान सेना , बुंदेलखंड किसान यूनियन , बुंदेलखंड किसान सेना , गत 14 दिसंबर को बनी हिंदुस्तान किसान यूनियन ( इसका राष्ट्रीय अध्यक्ष पहले बुंदेलखंड किसान यूनियन का सचिव था , उससे निकाला गया तो अपनी नई सेना बना ली है ) ........कहाँ जायेगा कर्जखोर और सूखे से जूझते बुंदेलखंड के किसानो का मुकद्दर जब उनके नाम पर बने ये यूनियन महज तमाशे के लिए बन कर रह गए है l इनकी अपनी मंचासीन बैठको में गाँव का किसान नदारद होता है ....क्यों ?
( तस्वीर में बुंदेलखंड के बाँदा का किसान, नरैनी )
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