Tuesday, February 03, 2015

किसान नत्थू के लिखे मौत के गीत !

डूबी हुई रात
इतना उजाला
पता है चाँद उधर था।
तुमसे सीखने में





कैसे मुसकराते है ।।....किसान नत्थू के लिखे मौत के गीत !


bundelkhand region - बाँदा / बुंदेलखंड के जिला बाँदा का यह किसान नत्थू कुशवाहा अपने मित्र किशोरी लाल साहू ( 6 जुलाई 2006 आत्महत्या किया,ग्राम पडुई ) के गम में उन दिनों लिखे हुए अपने मौत के गीतों को सुनाने के लिए बासी हो चुके पन्नो को खागंलता हुआ .....बोला गीत इस लिए बिसरा गए है क्योकि फेरे नही गए ! नत्थू कुशवाहा आज अपने एक एकड़ खेत में 11 सदस्यों का जीवन पाल रहा है सजीव खेती करके , उसका अपना अमरुद का बाग़ है, सब्जियां उगा कर बेचता है और मस्ती से जीता है , उसका एक लड़का संगमरमर के पत्थरों को लगाने का काम करता है .... लेकिन आज भी उसको अपने मित्र की मौत का दुःख सालता है l ...सही है किसान चुन्बद्दी पाल के लिखे और नत्थू के गए गीतों को सुनने वाला समाजवाद , रामवाद और सर्वजन वाद कहाँ है अब जो किसान की मौत पर कफ़न लाता , ये गीत सुनता ....ठेठ बुन्देली में लिखे ये गीत नत्थू लावणी में अपने तारे के साथ आज भी जब गाता है तो रोंगटे खड़े हो जाते है उस रात जो हुआ उसको सुनकर कि एक तारा बोलता है .... - मेरा बुंदेलखंड !

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