उत्तर प्रदेश में लोक आयुक्त सूचना अधिकार दायरे से बाहर
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मायावती सरकार के लिए मुसीबत बने और मुलायम सरकार के राजदुलारे रहे लोकायुक्त को उत्तर प्रदेश सरकार ने उनके काम का ईनाम दे दिया है. आरटीआई कार्यकर्ता आशीष दीक्षित सागर ने एक बयान जारी कर बताया कि समाजवादी सरकार उत्तर प्रदेश ने कैबनेट की बैठक करके लोक आयुक्त को सूचना अधिकार के दायरे से बाहर
कर दिया है. उन्होंने कहा कि भ्रष्ट मंत्रियो की जांच रिपोर्ट मीडिया के सामने और सार्वजनिक रूप में नहीं आने पाए इस वास्ते सपा सरकार का बसपा से व तमाम अन्य मंत्रियो को बचाने का यह प्रयास है, ये वही समाजवादी सरकार है
जिसके बयान थे की सरकार बनते ही मायावती जेल में होगी और उनकी मूर्तिया, पार्क पर बुलडोजर चलाया जायेगा. दीक्षित ने कहा कि मायावती की मूर्ति तोड़ने पर भारत के कानून ने राष्ट्र निष्ठा की पहल करने वालो पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा समाजवादी सरकार के रहते ही लगाया है, अब लोक आयुक्त को सूचना अधिकार से बाहर कर अखिलेश यादव ने बतला दिया है कि हम भी भ्रष्टाचार के हमाम में पाच साल नहायेगे तो भला कैसे लोक आयुक्त को आजाद करे,
दरअसल उत्तर प्रदेश के लोक आयुक्त को सूचना अधिकार की अवमानना करने के खातिर माननीय राज्य सूचना आयोग के सामने आगामी पाच सितम्बर को पेश होना था …..ऐसे में यह फैसला उत्तर प्रदेश सरकार की लोक आयुक्त
के साथ साज़िश और भ्रष्ट मंत्रियो को बचाने की कवायद को बेनकाब करता है ……….
पिछले कुछ समय से आरोप लगते रहे हैं कि लोकायुक्त कार्यालय में कुछ गड़बड़ काम हो रहे हैं. शायद इसीलिये राज्य सरकार ने यह कदम उठाया है.
आशीष सागर ने बताया कि वे इसके विरोध में बांदा में ज्ञापन प्रधान मंत्री के नाम ज्ञापन देकर, मुर्गा प्रदर्शन करेंगे – हल्ला बोल ?
कर दिया है. उन्होंने कहा कि भ्रष्ट मंत्रियो की जांच रिपोर्ट मीडिया के सामने और सार्वजनिक रूप में नहीं आने पाए इस वास्ते सपा सरकार का बसपा से व तमाम अन्य मंत्रियो को बचाने का यह प्रयास है, ये वही समाजवादी सरकार है
जिसके बयान थे की सरकार बनते ही मायावती जेल में होगी और उनकी मूर्तिया, पार्क पर बुलडोजर चलाया जायेगा. दीक्षित ने कहा कि मायावती की मूर्ति तोड़ने पर भारत के कानून ने राष्ट्र निष्ठा की पहल करने वालो पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा समाजवादी सरकार के रहते ही लगाया है, अब लोक आयुक्त को सूचना अधिकार से बाहर कर अखिलेश यादव ने बतला दिया है कि हम भी भ्रष्टाचार के हमाम में पाच साल नहायेगे तो भला कैसे लोक आयुक्त को आजाद करे,
दरअसल उत्तर प्रदेश के लोक आयुक्त को सूचना अधिकार की अवमानना करने के खातिर माननीय राज्य सूचना आयोग के सामने आगामी पाच सितम्बर को पेश होना था …..ऐसे में यह फैसला उत्तर प्रदेश सरकार की लोक आयुक्त
के साथ साज़िश और भ्रष्ट मंत्रियो को बचाने की कवायद को बेनकाब करता है ……….
पिछले कुछ समय से आरोप लगते रहे हैं कि लोकायुक्त कार्यालय में कुछ गड़बड़ काम हो रहे हैं. शायद इसीलिये राज्य सरकार ने यह कदम उठाया है.
आशीष सागर ने बताया कि वे इसके विरोध में बांदा में ज्ञापन प्रधान मंत्री के नाम ज्ञापन देकर, मुर्गा प्रदर्शन करेंगे – हल्ला बोल ?
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