Thursday, August 26, 2010

शूल

सुख में जो मीत करीब हुए ,
दुर्दिन में वो प्रतिकूल हुए ,
सुमनों से भी बढ़कर इसीलिए ,
मन - भावन मुझको शूल हुए ,
दी शक्ति चुभन को सहने की ,
पीड़ा में भी खुश रहने की ,
इन शूलो की ही अनुकम्पा ,
दुःख - दर्द सभी अनुकूल हुए ,
दुखो का भी अभिनन्दन ,
सुखो में सुखी रहे मन ,
जीवन को जीना सीख गए ,
अब हो चाहे जितने भी शूलो का आगमन !

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