Sunday, August 08, 2010

धुंध धुएं ने कर दिया

धुंध धुएं ने कर दिया हरयाली का रेत ,
चिडया फिरती न्याय को लीये वीडियो टेप ,
पत्थर के जंगल उगे ,मिटे बाग और खेत ,
अब क्या रंग दिखायेगा नई सदी का प्रेत !
आरी ने घायल किये हरयाली के पाव ,
कंक्रीट में दब गया वह होरी का गाव ,
दूर शहर कि चिमनिया ,देती ये आभास
जैसे बीडी पी रहे बूढ़े कई उदास ,
हुए आधुनिक इस तरह बड़ा दोस्त अनुराग ,
बरगद काट उगा लिए नागफनी के बाग !
वन्य जीव मिटते रहे ,कटे पेड़ दिन रात
तो एक दिन मिट जाएगी खुद आदम कि जात ,
धुंध धुएं ने घात दी रोगी हुए हकीम ,
असमय बूढ़ा हो गया आगन वाला नीम ,
आरी मत पैनी करो जंगल करे गुहार ,
जीवन भर दुगा तुम्हे मै अनंत उपहार
हिंसा ,नफरत त्याग के निर्मल - निर्जर ,
बाटो धरा में प्यार !

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