Saturday, August 14, 2010

संघर्ष

इसलिए राह संघर्ष की हम चुने ,
ज़िन्दगी आंसुओ से नहाई न हो !
शाम सहमी न हो रात हो न डरी,
भोर की आँख फिर डबडबायी न हो !!
...
कोई अपनी ख़ुशी के लिए ,
गैर की रोटियां छीन ले हम नही चाहते !
छींट कर थोडा चारा कोई उम्र की ,
हर ख़ुशी बीन ले हम नही चाहते !
हो किसी के लिए मखमली बिस्तरा ,
और किसी के लिए एक चटाई न हो...

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