आदमी
मानवता को कर दिया दफ़न आदमी ने ,
उसूलो का बनाया कफ़न आदमी ने ,
सहयोग ,स्नेह और सोहार्द अब स्वार्थ के पर्याय है ,
खुद ही लूटा घरो का चमन आदमी ने ,
भ्रस्टाचार इस मुल्क में कोई मुद्दा नहीं रह गया ,
किया इस कदर गबन आदमी ने ,
फिक्र किसे सागर अपने अगले जन्म कि ,
हवस में डुबोया है तन - मन आदमी ने ,
जाने क्या देगा विरासत आदमी ,
जब बेआबरू कर दिया अमन आदमी ने !
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