मर्दवादी सत्ता
जब तक किसान जीवित रहा अपने पुरसार्थ के आगे घरैतिन ( महिला कृषक ) को किसान नही माना l बैंक से कर्जा लिया , खेत में बीज और बागवानी घरैतिन , पत्नी के साथ ही किया l या यूँ कहूँ सुबह 4 बजे से लेकर रात के अंतिम बिस्तर पर जाने वाले जीव के रूप में भी अपनी इसी घरैतिन को पाया और पाता है l
जब कर्जा अधिक हुआ और बैंक का नोटिस आया तो मारे दहशत के बिना अपने वजूद का ख्याल किये पत्नी - बच्चो की परवाह किये आत्महत्या कर ली l जिंदा रहते महिला कृषक को दुःख देता रहा l उसको कभी किसान नही मान पाया और जब चला गया इस दुनिया से तो इस समाज ने मर्दवादी सत्ता को ही किसान माना l वैधव्य का विषपान , बच्चो का पालन अब भी मूल रूप में उसी महिला किसान ने ही किया मगर फिर भी हमने उसको कभी घर का किसान , खेत का किसान , समाज का किसान नही माना l जो असल में हम सबकी जन्मदात्री है किरदार और निगहबानी में वही किसान है और बड़ी बात है कि वो इतना दंश झेलने के बाद भी आत्महत्या इसलिए कभी नही करती मै कर्जदार हूँ जबकि मर्द करता है ......हे महिला किसान प्रणाम l
तस्वीर - बुंदेलखंड के ग्राम आनंदपुर में आलू बोटी महिला कृषक पति के साथ ....l
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