नदियों का सीना चीर कर खनन कर रहे है ...
बाँदा जिले की केन में सारे नियम ,कानून ताक पर रख कर बालू माफिया नदियों का सीना चीर कर खनन कर रहे है और यह आज भी यथावत जारी है।
सरकार पहरेदार है और माफिया ठेकेदार तब कैसे बचेगी अविरल नदिया ? यह सब हो रहा है एक सूखा ग्रस्त इलाके में बुन्देलखंड के बाँदा जिले का राज घाट और हरदोली घाट ,सोना खदान की दास्तान कुछ ऐसी ही है । जिले की पुलिस खुद बाइपास और नदी घाट के रास्तो में पड़ने वाले चोकियो में ट्रैक्टर ,ट्रको की निकासी करवाती है । कुछ घटो मसलन नसेनी ,परेई ,गंछा जो मध्य प्रदेश के तटों से लगे है में उत्तर प्रदेश की बालू मध्य प्रदेश का रवन्ना भी चलता है। बुंदेलखंड के सातों जिलो से सालाना 510 करोड़ रुपया राजस्व खनिज सम्पदा से निकलता है । कैग की 2011 की रिपोर्ट के मुताबिक 258 करोड़ की राजस्व चोरी की गई जो सीधे माफियाओ और गुंडा टैक्स का हिस्सा थी । नदियों को लूटने का यह सिलसिला चलता रहेगा जब कि नदिया पूरी तरह सूख नही जाती है। बाँदा जिले में केन ,बाघें नदी ,चित्रकूट में मंदाकनी और हमीरपुर में बेतवा का यही हाल है ,बालू का अवैध खनन गुजरे तीन दशको की बात हो गई है। इस बीच रह - रह कर सामाजिक कार्यकर्ता अपने स्तर से सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय के आदेश भी लाये जिनके अनुसार बिना पर्यावरण सहमती प्रमाण पत्र के किसी भी प्रकार का खनन प्रतिबंधित किया गया है। ....आशीष सागर..
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