चार दिन से लापता आरटीआई कार्यकर्ता !
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http://www.janjwar.com/2011-06-03-11-27-02/71-movement/3789-2013-03-14-03-36-14
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नेताओं-एनजीओ के खोले थे पोल, अपहरण की आशंका
सूचना
अधिकार को हथियार बनाकर भ्रष्टाचारियों, प्रशासनिक विभागों पर ब्रजमोहन
यादव नकेल कसने की कोशिश करते हैं. मगर किसी को यह अंदाजा नहीं था कि उनकी
यह कोशिश आपराधियों-राजनीतिज्ञों और एनजीओं वालों की तीकड़ी को इतनी नागवार
गुजरेगी कि उन्हें गायब ही कर दिया जायेगा...
आशीष सागर
केंद्र सरकार ने नवंबर 2005 में जन सूचना अधिकार अधिनियम तो बना दिया, लेकिन नौ साल बीत जाने के बाद भी वह आरटीआई कार्यकर्ताओं को दबंगों, भ्रष्टाचारियों के निवाले से बचाने में नाकाम रही है. आरटीआई कार्यकर्ता सेहला मसूद हत्याकांड जैसी घटनाओं में वह मात्र तमाशबीन बनकर देखती रहती है. अब उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में एक आरटीआई कार्यकर्ता ब्रजमोहन यादव पिछले चार दिनों से लापता हैं.
आशीष सागर
केंद्र सरकार ने नवंबर 2005 में जन सूचना अधिकार अधिनियम तो बना दिया, लेकिन नौ साल बीत जाने के बाद भी वह आरटीआई कार्यकर्ताओं को दबंगों, भ्रष्टाचारियों के निवाले से बचाने में नाकाम रही है. आरटीआई कार्यकर्ता सेहला मसूद हत्याकांड जैसी घटनाओं में वह मात्र तमाशबीन बनकर देखती रहती है. अब उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में एक आरटीआई कार्यकर्ता ब्रजमोहन यादव पिछले चार दिनों से लापता हैं.
बुंदेलखंड
क्षेत्र की नरैनी तहसील के उदयपुर गांव के ब्रजमोहन सूचना अधिकार
कार्यकर्ता हैं. वे 11 मार्च की सुबह 10.30 बजे अपने एक रिश्तेदार राजा
भइया के साथ घर से किसी मामले में सूचना लेने निकले थे. आरटीआइ कार्यकर्ता
ब्रजमोहन यादव ने राजा को रास्ते में छोड़ दिया और चित्रकूट के लिए रवाना
हो गया. एक घंटे बाद जब राजा भइया अपने काम से फुरसत होकर अपने मोबाइल से
ब्रजमोहन यादव को फोन किया तो उनके मोबाइल के दोनों नंबर 9628136311 और
8115249353 स्विच आॅफ मिले. उसके बाद से ब्रजमोहन यादव की कोई सूचना नहीं
है.
गुमशुदगी के दो दिन तक जब परिजन ब्रजमोहन को तलाशने में असफल रहे तो 13 मार्च को गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने बदौसा थाना पहुंचे. बदौसा थाना इंचार्ज सुरेंद्र सिंह यादव ने चित्रकूट की घटना बताकर टाला तो चित्रकूट के थानाध्यक्ष ने बदौसा का मामला बताकर गुमशुगदगी का मामला दर्ज करने से मना कर दिया. एसपी के यहां तहरीर देने के बावजूद अबतक इस मामले में कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है और आरटीआइ कार्यकर्ता के साथ अनहोनी की आशंकाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं.
गौरतलब है कि ब्रजमोहन यादव ने बुंदेलखंड के अतर्रा क्षेत्र की ‘अभियान’ संस्था के संचालक अशोक श्रीवास्तव द्वारा ग्राम उदयपुर, भुसासी में ‘वाटर एड’ नामक संस्था के सहयोग से 2 करोड़ 99 लाख रुपए के अनुदान पर संपूर्ण स्वच्छता कार्यक्रम के तहत वर्ष 2004 से 2007 के बीच बनाए गए कागजी 64 शौचालयों में धन की बंदरबाट का खुलासा किया था.
चित्रकूट-बांदा लोकसभा सांसद आरके पटेल और आगामी लोकसभा 2014 से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी श्यामाचरण गुप्त के पूर्व में उनकी निधियों से कराए गए विकास कार्य को भी सूचना अधिकार कार्यकर्ता ने कटघरे में खड़ा किया था. कभी क्षेत्र में बालू के अवैध खनन, तो कभी ग्राम प्रधानों के मनरेगा में घोटालों की पोल भी ब्रजमोहन यादव ने खोली थी. इससे पहले ब्रजमोहन अतर्रा क्षेत्र की ही ‘परागीलाल विद्याधाम समिति’ में बतौर सामाजिक कार्यकर्ता काम करते रहे, लेकिन संस्था की कार्यशैली से असंतुष्ट होकर ब्रजमोहन यादव स्वतंत्र रूप में अपने क्षेत्र के आमजन की समस्याओं, सामाजिक मुद्दों के लिए आवाज उठाने लगे.
ब्रजमोहन को क्षेत्र में कहीं भी छोटे-बड़े स्तर पर पंचायतों के बीच भ्रष्टाचार दिखता तो वे सूचना अधिकार को हथियार बनाकर भ्रष्टाचारियों, प्रशासनिक विभागों पर नकेल कसने की कोशिश करते. मगर किसी को यह अंदाजा नहीं था कि ब्रजमोहन यादव की यह कोशिश आपराधियों-राजनीतिज्ञों और एनजीओं वालों की तीकड़ी को इतनी नागवार गुजरेगी कि उन्हें गायब ही कर दिया जायेगा.
बुंदेलखंड आरटीआई फोरम के कार्यकर्ताओं और सदस्यों में इस घटना को लेकर भारी आक्रोश व्याप्त है. सदस्यों का कहना है कि ब्रजमोहन यादव और अन्य के द्वारा पहले भी पुलिस अधिकारियों को अपनी जान-माल की सुरक्षा के लिए अर्जियां दी जा चुकी हैं, लेकिन जनता के अर्जियों को अपने पीकदान का हिस्सा समझने वाले प्रशासन पर जूं तक नहीं रेंगी है.
ashishsagar.dikshit@janjwar.comगुमशुदगी के दो दिन तक जब परिजन ब्रजमोहन को तलाशने में असफल रहे तो 13 मार्च को गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने बदौसा थाना पहुंचे. बदौसा थाना इंचार्ज सुरेंद्र सिंह यादव ने चित्रकूट की घटना बताकर टाला तो चित्रकूट के थानाध्यक्ष ने बदौसा का मामला बताकर गुमशुगदगी का मामला दर्ज करने से मना कर दिया. एसपी के यहां तहरीर देने के बावजूद अबतक इस मामले में कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है और आरटीआइ कार्यकर्ता के साथ अनहोनी की आशंकाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं.
गौरतलब है कि ब्रजमोहन यादव ने बुंदेलखंड के अतर्रा क्षेत्र की ‘अभियान’ संस्था के संचालक अशोक श्रीवास्तव द्वारा ग्राम उदयपुर, भुसासी में ‘वाटर एड’ नामक संस्था के सहयोग से 2 करोड़ 99 लाख रुपए के अनुदान पर संपूर्ण स्वच्छता कार्यक्रम के तहत वर्ष 2004 से 2007 के बीच बनाए गए कागजी 64 शौचालयों में धन की बंदरबाट का खुलासा किया था.
चित्रकूट-बांदा लोकसभा सांसद आरके पटेल और आगामी लोकसभा 2014 से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी श्यामाचरण गुप्त के पूर्व में उनकी निधियों से कराए गए विकास कार्य को भी सूचना अधिकार कार्यकर्ता ने कटघरे में खड़ा किया था. कभी क्षेत्र में बालू के अवैध खनन, तो कभी ग्राम प्रधानों के मनरेगा में घोटालों की पोल भी ब्रजमोहन यादव ने खोली थी. इससे पहले ब्रजमोहन अतर्रा क्षेत्र की ही ‘परागीलाल विद्याधाम समिति’ में बतौर सामाजिक कार्यकर्ता काम करते रहे, लेकिन संस्था की कार्यशैली से असंतुष्ट होकर ब्रजमोहन यादव स्वतंत्र रूप में अपने क्षेत्र के आमजन की समस्याओं, सामाजिक मुद्दों के लिए आवाज उठाने लगे.
ब्रजमोहन को क्षेत्र में कहीं भी छोटे-बड़े स्तर पर पंचायतों के बीच भ्रष्टाचार दिखता तो वे सूचना अधिकार को हथियार बनाकर भ्रष्टाचारियों, प्रशासनिक विभागों पर नकेल कसने की कोशिश करते. मगर किसी को यह अंदाजा नहीं था कि ब्रजमोहन यादव की यह कोशिश आपराधियों-राजनीतिज्ञों और एनजीओं वालों की तीकड़ी को इतनी नागवार गुजरेगी कि उन्हें गायब ही कर दिया जायेगा.
बुंदेलखंड आरटीआई फोरम के कार्यकर्ताओं और सदस्यों में इस घटना को लेकर भारी आक्रोश व्याप्त है. सदस्यों का कहना है कि ब्रजमोहन यादव और अन्य के द्वारा पहले भी पुलिस अधिकारियों को अपनी जान-माल की सुरक्षा के लिए अर्जियां दी जा चुकी हैं, लेकिन जनता के अर्जियों को अपने पीकदान का हिस्सा समझने वाले प्रशासन पर जूं तक नहीं रेंगी है.
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