Sunday, August 26, 2012

तीसरी बार नसीमुद्दीन के खिलाफ सी बी आई और ईडी की जांच की सिफारिश की है.

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नसीमुद्दीन सिद्दीकी
कभी मायावती के बुत बुलडोजर से गिरवाने का ऐलान करने वाली समाजवादी पार्टी आखिर माया के सर्वाधिक चहेते मंत्री रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ सी बी आई और ईडी की जांच की अनुमति क्यों नहीं दे रही है?
उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त एन के मेहरोत्रा ने बांदा के आर टी आई कार्यकर्ता और हस्तक्षेप.कॉम के लेखक आशीष दीक्षित सागर की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को तीसरी बार नसीमुद्दीन के खिलाफ सी बी आई और ईडी की जांच की सिफारिश की है. आशीष सागर ने इस बावत जानकारी देते हुए बताया कि यह पहला मौका है कि किसी मंत्री के खिलाफ लोकायुक्त ने तीन बार जांच की सिफारिश की और सरकार ने उनकी सिफारिश अनसुनी कर दी.
भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे अधिकारीयों और नेताओं के प्रति नर्म रवैये को लेकर अखिलेश सरकार पर संदेह के बादल घिर रहे हैं. मायावती के ख़ास रहे आईएएस अधिकारी प्रदीप शुक्ला को भ्रष्टाचार के आरोप में तीन माह से ज्यादा जेल में बिताने के बाद भी अखिलेश सरकार ने उन्हें निलंबित नहीं किया और जमानत पर छूटते ही राजस्व विभाग में नियुक्ति भी दे दी. इतना ही नहीं बताया जाता है कि प्रदीप शुक्ला के खिलाफ चार्ज शीट राज्य सरकार के पास दबी रही और उसे अदालत में पेश ही नहीं किया गया. अब नसीमुद्दीन के खिलाफ भी जांच की अनुमति न देना सरकार की नीयत पर उँगलियाँ उठाता है


आशीष दीक्षित सागर, बुंदेलखंड क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता एवं जन सूचना अधिकार एक्टिविस्ट है ,बुंदेलखंड में गुजरे तीन वर्षो से यह पर्यावरण – वन जीवो ,जल ज़मीन और जंगल को बचाने की मुहिम को लेकर सक्रिय है साथ ही वहां किये जा रहे खनन माफियाओ के काला सोना ( ब्लैक स्टोन ) की खदानों से टूटते पर्यावरण के इको सिस्टम को सहेजने के लिए लगातार बुन्देली बाशिंदों के बीच समाज कार्य करते है, लेखक बतौर प्रवास सोसाइटी के संचालक की भूमिका में किसान ,मजदूर ,महिलाओ और आदिवासियों के पुनर्वास का भी जन अभियान चलाने का बीड़ा उठाये है 

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