Thursday, September 23, 2010

बुंदेलखण्ड में भुखमरी : महिला ने दो बेटियां अनाथालय को सौंपीं

सरकार चाहे जितने दावे करें, मगर बुंदेलखण्ड में भुखमरी का वीभत्स रूप अब भी कायम है। इसका उदाहरण है बेवा रचना कुशवाहा, जिसे भुखमरी के चलते अपनी दो बेटियों को अनाथालय के सुपुर्द करना पड़ा है। रचना अगर ऐसा नहीं करती तो उसकी दोनों बेटियां भूख से मर जातीं।
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिला मुख्यालय से महज आठ किलोमीटर दूर स्थित खौंप निवारी, जहां की रचना रैकवार को पति ने पिछले साल ही साथ छोड़ दिया था। पति का साथ छूटने से दो बेटियां मोहिनी (आठ) और अंजलि (छह) उसके लिए भार बन गईं थीं। किसी तरह उसने मजदूरी कर दोनों को पाला, मगर अब ऐसा करना भी उसके लिए मुश्किल हो चला था।
परेशान रचना ने तय किया कि अगर वह बेटियों को दो वक्त की रोटी नहीं दिला पाती है तो बेटियों के साथ वह भी जहर खा लेगी। रचना जब इस द्वंद्व से गुजर ही रही थी, तभी उसके दिमाग में दोनों बेटियों को अनाथालय को सौंपने का विचार आया। उसने सोचा कि बेटियों का वहां लालन-पालन हो जाएगा और खाना भी उन्हें मिल जाएगा। ऐसा होने से वह अपनी बेटियों को भूख की तड़प से बचाने में कामयाब होगी।
रचना ने छतरपुर स्थित संवेदना अनाथालय से संपर्क किया और दोनों बेटियों को सौंपने की इच्छा जताई। अनाथालय के संचालक प्रतीक खरे ने रचना की तंगहाली के मद्देनजर दोनों बेटियों को अनाथालय में रख लिया है।
खरे बताते हैं कि रचना कह रही थी कि वह दोनों बेटियों के साथ जहर खा लेगी, क्योंकि उसके पास बेटियों को खिलाने के लिए कुछ भी नहीं है। लिहाजा, उन्होंने दोनों बेटियों को अनाथालय में रख लिया है।
प्रभारी कलक्टर भावना बालंदे का कहना है कि वे इस मामले की पूरी जांच कराएंगी और यह भी पता लगाया जाएगा कि पीड़ित महिला को विधवा पेंशन मिल रही थी या नहीं।(आईएएनएस)
  Resource - http://www.janatantra.com/news/2010/06/13/starvation-strikes-in-bundelkhand

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