माना दीपक एक, अकेला नन्हा सा, गहन अंधकार नहीं मिटा सकता, पर इस डर से जलना नहीं छोड़ता, मौत निश्चित है, जीवन का एकमात्र सत्य, पर आदमीं जीना सांस लेना नहीं छोड़ता, बहता जल निर्मल ठहरा तो हुआ मलिन, हो सतत प्रवाह हमारे जीवन का भी, बीज चीर धरती का सीना करता है संघर्ष, नवांकुर बन ऊपर आता, हर्षाता, मुस्काता भरसक कोशिश कर, रखाता अपनें अस्तित्व को ज़िंदा यही जिजिविषा है, प्रेरणा है, और संदेश है !
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माना दीपक एक, अकेला नन्हा सा, गहन अंधकार नहीं मिटा सकता, पर इस डर से जलना नहीं छोड़ता, मौत निश्चित है, जीवन का एकमात्र सत्य, पर आदमीं जीना सांस लेना नहीं छोड़ता, बहता जल निर्मल ठहरा तो हुआ मलिन, हो सतत प्रवाह हमारे जीवन का भी, बीज चीर धरती का सीना करता है संघर्ष, नवांकुर बन ऊपर आता, हर्षाता, मुस्काता भरसक कोशिश कर, रखाता अपनें अस्तित्व को ज़िंदा यही जिजिविषा है, प्रेरणा है, और संदेश है !
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