मेरी आप बीती कहानी - चित्रकूट ( बुंदेलखंड )
मै,.... मै कुछ बनना चाहती हू !
मै एक बहादुर बच्ची बनना चाहती हू ,
लेकिन ......कम पर जाना,माँ का ताना ,और यह जमाना ,मुझे रोक देता है !
मै एक कामयाब किशोरी बनना चाहती हू ,
लेकिन..... सारा दिन का काम,आराम पर लगाम ,और मजदूरी का काम दाम,
मुझे रोक देता है !
मै एक पवित्र पत्नी बनना चाहती हू !
लेकिन .....पति की शराब ,बेटे का ऊचा ख्वाब,और मेरा खुद का स्वाथ्य खराब ,
मुझे रोक देता है !
मै एक बढिया बुजुर्ग बनना चाहती हू !
लेकिन ......भूख की लाचारी, खासी की बीमारी,और बेटे की रोज की मारामारी ,
मुझे रोक देती है!
शायद यही है हर महिला की कहानी ,...बचपन,बुढ़ापा और जवानी !
Labels: http://ashish-gadha.blogspot.com
0 Comments:
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home