Friday, February 26, 2010

राष्ट्रीय पेड़ बरगद कटे जाने से आहत पंद्रह यूवा नहीं मनायेगे होली ( बुंदेलखंड )



विकासखंड तिदवारी का ग्राम गुखरही के युवा बुन्देखंड में विकास के नाम पर
बनाई जा रही सडको के किनारे लगे पेड़ो की बेतहासा कटाई से इतने आहत हुआ है की
वहा के पन्दरह युवाओ ने आम सहमती बनाई है की वे इस बरस और आने वाले अन्य वर्षो में भी
होली नहीं मनायेगे ! हो सकता है की ये बात भले ही कुछ लोगो के गले न उतरे मगर हकीकत तो यही है की
रास्ट्रीय पेड़ बरगद के कटे जाने से वे इतने मनस्क रूप से आहत हुए है की पानी की कमी और पेड़ो को
बाचने की पहल करते हुए उन्होंने ये ऐतिहासिक फैसला किया है,ग्राम गुखरही के संतराम यादव ,ज्ञान सिंह ,गयाप्रसाद ,
ह्रादयनारायण तिवारी ,सत्रुघन सिंह ,जगदीश यादव ,पर्बोध , ममता देवी ,उर्मिला ,जीतेन्द्र ,नीरज और आशीष सागर ने मिलकर ये
बताया है की अबकी से हम हर वर्ष ग्राम में और जहा कही हमें जगह मिलेगे वहा बरगद के पेड़ लगाकर उन्हें बाचने के लीये सभी को आगे आने
किम प्रेड़ना देने का कम करेगे, गोरतलब है की आज बांदा जनपद में बनरही फोर लाइन सड़क के किनारे खड़े कई बरगद के पेड़ सरकारी आदेशो
पर काटकर उनको होली की भेट चढ़ा दिया गया है आखिर ये पर्यावरण को मिटने और विकास का कोंन सा सूचक है जो रास्ट्रीय पेड़ो को भी नहीं छोड़ने की
अगुवाई करता है !शायद यही कारण है की अमेरिका जैसा देश भारत के लीये यह कहता है की " सारा हिंदुस्तान होली में एक दिन पागल हो जाता है "
वजह चाहे जो भी हो मगर ये तो सही ही है की अगर विकास की रफ़्तार ऐसे ही जंगलो और हरे पेड़ो को कटती रही तो आने वाले कुछ ही वर्षो में
हमें सिर्फ मकानों ,कंक्रीट की सडको ,मशीनों की आवाजे ही सुने देगी लेकिन उनमे रहने वाले और चलने वाले आदम जात आदमी की जिन्दगिया
नहीं शामिल होगी ! आये हमारे साथ इस आन्दोलन को अपनी सहमती पर्दान करे ताकि हमारी आने वाली नस्ले हमें गलिय देने और
अहसान फरामोश कहने की हिमाकत नहीं करे - उन तमाम लोगो को इस होली की हजारो मुबारक बाद !
" सबकी जिंदगी में भरे खुशियो की झोली , मन भावन हो हर इंसानों की ये होली ".......

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