मनरेगा आदर्श तालाबो ने छीनी गरीब किसानो की उपजाऊ जमीने
पिछले पाच सालो से बदहाली को झेल रहा बुन्देखंड का गरीब किसान आज उसके लीये ही
बनाई गई योजना मनरेगा में अपनी जमीनों को सरकारी अधिकारियो की साज़िस के तहत
हडपे जाने की बदोलत परेसान बैठा है , आखिर क्या करे फिर वही खुदकुशी या कर्ज की मार में
अपने आपको अपनों के साथ कैद कर ले , बात बांदा जनपद के पल्हरी ग्राम की है वहा का गरीब किसान
संतोष कुमार पुत्र श्री रामेश्वर प्रसाद ग्राम में बनाये जा रहे माडल तालाब में ग्राम प्रधान ,ग्राम सचिव ,
खंड विकास अधिकारी की साज़िस में कैद होकर अपनी तालाब से लगी भूमिधरी की ज़मीन को खोने
की कगार पर है ! एक तरफ जहा केंद्र और राज्य सरकारे ग्रामीणों को मनरेगा में 100 दिन के रोजगार की गारंटी
देने की कवायद करते नज़र आ रहे है और जिनके अनुपालन में करोडो का बज़ट सिर्फ योजना को सही तरह चलाने
के लीये ही सोसिअल आडिट व अन्य मानको में खर्च किया जा रहा है वही दूसरी तरफ इसमे बने लाखो रुपयों के
आदर्श तालाबो की हालत तो ऐसी है की उनमे ग्राम के जानवर ,लोगो के शोच निपटान , व ग्राम की अन्य गंदिगी ,
जैसे कपड़ो का मैल - खुद के नहाने के कारण फैला मैल , साबुन आदि तालाबो का पानी प्रदुसित करता
चला जा रहा है ! गोरतलब है की 6.43 लाख की लागत से बना ग्राम पल्हरी का माडल तालाब उस किसान की उपजाऊ
ज़मीन जो की तालाब के किनारे से लगी है गाता नंबर 742 व तालाब का गाता नंबर 743 के सीमा विवाद की जाच के
आदेश मुख्य विकास अधिकारी पहले ही दे चुके है धारा 161 के तहत किसी भी आदमी की भूमधरी ज़मीन पर तालाब
नहीं बनवाया जा सकता है लेकिन मंडल के सभी अधिकारियो के पास जाने और जिहाजूरी करने के बाद भी किसान संतोष कुमार
की जमीन बचती नज़र नहीं आ रही है ! आखिर वो लोग क्या करे जिनके पास न तो मुकदमा लड़ने की हिम्मत है और नाही
पैसा है ऐसे में गरीब तो बस ये ही कह सकता है की-" हमें तो अपनों ने लूटा है गैरो में कहा दम था , मेरी कश्ती वही डूबी
जहा पानी बहुत कम था " !
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