बुंदेलखंड में केन की सूरत
केन हमारी तड़प रही है
गरम रेत पर जैसे बिजली
बीच अधर में घन से छूटी
तड़प रही है।
गरम रेत पर जैसे बिजली
बीच अधर में घन से छूटी
तड़प रही है।
गत 4 अक्तूबर 2014 के नवदुर्गा मूर्ति विसर्जन के बाद बुंदेलखंड के जिला बाँदा में केन की सूरत यूँ रही l हलाकि मूर्ति पंडालो पर मनोसामाजिक दबाव और प्रसाशन की सख्ती की वजह से इस बार केन में गंदगी का अम्बार कम रहा है ,लेकिन जो है वो हमारी आस्था और जल की अस्मिता पर यक्ष प्रश्न खड़ा करता है ? गंदगी सफाई के बाद किनारे पर लगा ये कूड़ा काफी कुछ कहता है l शायद ये हिन्दू आस्था ही तो है जो अपने क्षणिक सुख के लिए सब कुछ कर सकती है ? और हम इस पर भी कुतर्क ही करते नजर आते है l
क्या महज प्रतीको के सम्मान के लिए जिंदगी की हवा - पानी और साँस को पभावित करना लाजमी है ? अगर है तो हम स्वघोषित सभ्य है इंसान तो हरगिज नही है l यहाँ कुल 250 मूर्ति नदी में विसर्जित की गई है l बुन्देलखण्ड में इस वर्ष 19 सूखा है l
https://www.youtube.com/watch?v=wLDZk5UJoQw&feature=youtu.be
क्या महज प्रतीको के सम्मान के लिए जिंदगी की हवा - पानी और साँस को पभावित करना लाजमी है ? अगर है तो हम स्वघोषित सभ्य है इंसान तो हरगिज नही है l यहाँ कुल 250 मूर्ति नदी में विसर्जित की गई है l बुन्देलखण्ड में इस वर्ष 19 सूखा है l
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