Friday, August 15, 2014

बुंदेलखण्ड केन्द्र और राज्य सरकार की नीतियों से पिछले कई वर्षाें से लगातार ठगा जा रहा है। उप्र के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पिछले साल बुंदेलखण्ड क्षेत्र के 16 तालाबों के पुनर्निमाण का फैसला लिया था लेकिन लगभग डेढ साल बाद स्थिति में मामूली फर्क नहीं आया है। महोबा की चन्द्रावल और झांसी की पहुंज नदी के पुनर्जागरण को लेकर आगामी 30 अगस्त को बैठक होने जा रही है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या 16 तालाबों की तरह ये दो नदियां भी सरकारी नीतियों द्वारा छली जाएंगी और बुंदेलखण्ड प्यासे का प्यासा रह जाएगा.....
ashish sagar आशीष सागर दीक्षित
 
उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकार के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ही सानिध्य में गत 7 फरवरी 2013 और 22 मार्च 2013 को ‘बुंदेलखंड जल पैकेज 223.91 करोड़-16 तालाब के पुनर्निर्माण’ को लेकर बैठक आहूत की गई थी। बैठक की अध्यक्षता माननीय आज़म खान, शिवपाल सिंह यादव के साथ झांसी में और दूसरी स्वयं मुख्यमंत्री के साथ हुई थी। इसमे बुंदेलखंड के 16 तालाबों को सहेजने और उनके माध्यम से यहां के जल संकट के समाधान खोजने की पहल पर विस्तार से चर्चा की गई थी। मगर उन 16 तालाबो को हम नही सहेज पाए आज तक।

16 प्रस्तावित तालाबों को बचा नही पाए मुख्यमंत्री तो क्या अब दो इन नदियों की बारी! तो क्या फिर छला जायेगा बुंदेलखंड का पानी ? तो क्या अबकी बार चन्द्रावल और पहुंज नदी का बहाना है पुनर्निर्माण के नाम पर ? इस पुरे प्रस्ताव में महोबा के 5 तालाब, बांदा 4 और झांसी के 6 तालाब थे। जिनमे महोबा के बेला सागर, कीरत सागर (राष्ट्रीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है), मदन सागर, रैपुरा तालाब, कुरवारा तालाब, कुलपहाड़ तालाब के साथ बांदा के छाबी तालाब, प्रागी तालाब, बाबू साहेब तालाब, गोसाई तालाब, नवाब टैंक, झांसी के लक्ष्मी तालाब, पचवारा तालाब, बंगरा लठवारा, गुरसराय बड़ागांव और मौउरानीपुर तालाब शामिल थे।

band newsजल पैकेज था 223.91 करोड़ रुपया, प्रस्तावित हुआ जिसमे 19 करोड़। महोबा और झांसी से रुपया वापस हुआ जिला प्रसाशन की बदौलत? ये कार्य ‘राष्ट्रीय झील संरक्षण कार्यक्रम’ के तहत होने थे जिसमे आधा रुपया पैकेज का केंद्र सरकार (आरआर योजना से देना था) को देना था। गत 7 फरवरी 2013 और 22 मार्च 2013 को दो बैठक हुई एक में झांसी आयुक्त सभागार में आजम खान मंत्री नगर विकास विभाग, शिवपाल सिंह यादव मंत्री सिंचाई-लोकनिर्माण विभाग, सातांे जिलों के जिलाधिकारी, चित्रकूट-बांदा और झांसी के मंडल आयुक्त, जलनिगम महा प्रबंधक, जल संस्थान अधिकारी उपस्थि थे।

दूसरी बैठक में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव खुद शामिल थे। मुख्यमंत्री के साथ शिवपाल सिंह यादव, आज़म खान के साथ हुई थी। इसकी तीसरी बैठक में भाई पियूष बबेले, रिपोर्टर इंडिया टुडे, (सदस्य एक्सपर्ट समिति) और सुधीर जैन (जनसत्ता) शामिल हुए थ। बुंदेलखंड की तरफ से बाकी पहली दो बैठकों में मैं खुद (सदस्य एक्सपर्ट समिति) शामिल रहा था।

मगर प्रदेश सरकार ने कुछ नही किया इस सपने का महज हम सबने सब्जबाग ही देखा अभी तक। 16 तालाब आज भी अपने पुनर्निर्माण का रास्ता देख रहे हैं। बुंदेलखंड क्या हर बार बस वादों के पिटारे के साथ छला जायेगा? बुंदेलखंड को सिवाय छलने के सरकारें करती क्या हैं। और उनके लिए इसका मोहरा बनते है सामाजिक कार्यकर्ता, पर्यावरण कार्यकर्ता जिसका समाज में नितांत गलत सन्देश जा रहा है।

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