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रसिन बाँध पर मछलियों के सौदागरों का कब्ज़ा
रसिन बांध से किसानों को पानी नहीं, होता है मछली पालन !
बुंदेलखंड से आशीष सागर दीक्षित रिपोर्ट-
चित्रकूट। बुंदेलखंड पैकेज के 7266 करोड़ रुपए के बंदरबांट की पोल यूं तो
यहां बने चेकडेम और कुंए ही उजागर कर देते हैं, लेकिन पैकेज के इन रुपयों
से किसानों की जमीन अधिग्रहण कर बनाए गए बांध से किसानों को सिंचाई के लिए
पानी देने का दावा तक साकार नहीं हो सका। चित्रकूट जनपद के रसिन ग्राम
पंचायत से लगे हुए करीब एक दर्जन मजरों के हजारों किसानों की कृषि जमीन
औने-पौने दामों में सरकारी दम से छीनकर उनको सिंचाई के लिए पानी देने के
सब्जबाग दिखाकर पैकेज के रुपयों से खेल किया गया।
उत्तर
प्रदेश सिंचाई विभाग के मातहत बने चैधरी चरण सिंह रसिन बांध परियोजना की
कुल लागत 7635.80 लाख रुपए है, जिसमें बंदेलखंड पैकेज के अंतर्गत 2280 लाख
रुपए पैकेज का हिस्सा है, शेष अन्य धनराशि अन्य बांध परियोजनाओं के मद से
खर्च की गई है। बांध की कुल लंबाई 260 किमी है और बांध की जलधारण क्षमता
16.23 मि. घनमीटर है। वहीं बांध की ऊंचाई 16.335 मीटर और अधिकतम जलस्तर
आरएल 142.5 मीटर, अधिकतम टापस्तर आरएल 144 मीटर बनाई गई है। इस बांध से
जुड़े नहरों की कुल लंबाई 22.80 किमी आंकी गई है।
किसानों
के लिए प्रस्तावित बुंदेलखंड की 2 फसलों रवी और खरीफ के लिए क्रमशः 5690
एकड़, 1966 एकड़ जमीन सिंचित किए जाने का दावा किया गया है, लेकिन एक किसान
नेता के नाम पर बने इस रसिन बांध की दूसरी तस्वीर कुछ और ही है। जो कैमरे
की नजर से बच नहीं सकी। जब इस बांध की बुनियाद रखी जा रही थी तब से लेकर आज
तक रह-रहकर किसानों की आवाजें मुआवजे और पानी के विरोध स्वरों में
चित्रकूट मंडल के जनपद में गूंजती रहती है। अभी भी कुछ किसान इस बांध के
विरोध में जनपद चित्रकूट में आमरण अनशन पर बैठे हैं। उनकी कहना हैं कि न तो
हमें मुआवजा दिया गया और ना ही खेत को पानी। उल्लेखनीय है कि बुंदेलखंड
पैकेज से बने रसिन बांध मे किसानों की जमीन लेकर मुआवजा नहीं मिलने के चलते
वर्ष 2012 को रसिन के ही बृजमोहन यादव ने अपनी बहन के ब्याह की चिंता में
आत्महत्या कर ली थी। उसकी जमीन अन्य किसानों की तरह डूब क्षेत्र में थी।
किसान आत्महत्या होने के एक माह पूर्व योजना आयोग उपाध्यक्ष मोटेक सिंह
आहलूवालिया बुंदेलखंड दौरे पर रसिन बांध को देखने आए थे। गर्मी के दिनों
में इस बांध को भरने के लिए सिंचाई विभाग के आला-अधिकारियों ने बांध को भरा
दिखाने के चक्कर में जनरेटर लगाकर टैकरों के माध्यम से पानी भरा था और
आहलूवालिया जी को भरा हुआ बांध दिखाकर चलता कर दिया। जबकि इलाहाबाद
राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच 76 पर 8 सैकड़ा किसान उनसे मिलने की कवायद में
अपनी गुहार के साथ सड़क जाम किए थे, पर उन्हें निराशा ही हाथ लगी। ठीक एक
महीने बाद बृजमोहन यादव की खुदकुशी और रसिन नहर के पहली ही बरसात में बह
जाने से इस बांध की बुनियाद पर ही सवाल खड़े हो चुके हैं।
संवाददाता
द्वारा 28 अक्टूबर 2013 को बांध को देखा गया तो रसिन बांध के मेन फाटक के
उत्तर दिशा में बनी नहर के टेल तक पानी नहीं था। इस डैम में कुल 5 फाटक हैं
जो इसी नहर की तरफ खुलते हैं। किसानों को इस बांध में जमीन जाने के बाद
सिंचाई के लिए पानी भले ही न मिला हो, लेकिन सरकार को इससे मछली पालन का
पट्टा उठाने के नाम पर राजस्व जरूर मिलने लगा है। बुंदेलखंड पैकेज के 7266
करोड़ रुपए इसी तरह ललितपुर और चित्रकूट में चेकडैम और कुएं बनाकर उड़ा दिए
गए तो वहीं वन विभाग भी इससे पीछे नहीं रहा। इस विभाग में भी फतेहगंज थाना
क्षेत्र की ग्राम पंचायत डढ़वामानपुर में पैकेज की धनराशि से किसानों की
जमीन की सिंचाई के लिए 15 ड्राई चेकडैम का निर्माण कार्य 2471.18 हैक्टेयर व
39 हैक्टेयर जमीन पर 468200 रुपए की लागत से कराया गया है। कोल्हुआ के
जंगल में बने इन 15 चेकडैमों की हालत बदसूरत ही नहीं बल्कि बेरंग भी है जो
किसानों के लिए सींच का साधन नहीं भ्रष्टाचार की बानगी बनकर रह गई है।
बुंदेलखंड पैकेज के रसिन बांध का माडल भी कुछ इसी तर्ज पर है।
आशीष दीक्षित सागर
ashishdixit01@gmail.com
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