Monday, November 26, 2012

मुख्यमंत्री धोखा दीन है !

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फिर छला गया बुंदेलखंड
अधिकारियों को जो किसान क्रेडिट कार्ड का अतिरिक्त टारगेट दिया था,  उसके लिए क्रेडिट कार्ड कर्ज की सुविधा लेने के लिए जगह-जगह कैम्प बना दिये गए हैं. सरकार की मंशा साफ है कि पहले कर्जा लो और फिर हम कर्ज माफ़ी की छलपूर्ण की गई घोषणा से वोटों की मंदी पर सियासत का खेल करेंगे...
आशीष सागर
पिछले दिनों सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह के जनम दिवस पर हुई पचास हजार किसानों की कर्ज माफ़ी की घोषणा का समाजवादी पार्टी घूम -घूम कर हल्ला मचा रही है. वह अपनी इस उपलब्धि पर फूला नहीं समा रही है. सपा प्रचारित कर रही है कि उसने चुनाव के समय किये गए किसानो से वादे को पूरा किया है.
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दूसरी तरफ मगर बुंदेलखंड के कर्ज, मर्ज और बेकारी की संघर्ष यात्रा में मजबूर किसान जो सालभर बरसात के सहारे किसानी पर दांव लगाता है, के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने महज छल ही किया है. पूरे बुंदेलखंड में सिर्फ बाँदा जनपद की ही बात करें तो यहाँ के तीन लाख किसानों में से मात्र बाईस सौ सत्रह किसानों का ही कर्ज माफ़ हो सका है. सपा की इस कर्ज माफ़ी घोषणा की साफ तस्वीर यह है कि बाँदा से 31 मार्च 2012 तक 1600 करोड़ रुपये किसानों पर कर्ज अलग-अलग बैंकों से बकाया है.
इसमें बैंक आफ बड़ोदा से 9 करोड़, बैंक आफ इंडिया से 80 करोड़, एचडीएफसी बैंक से 10 करोड़, पंजाब नेशनल बैंक से 1.62 करोड़, स्टेट बैक आफ इंडिया से 81 करोड़, यूनियन बैंक आफ इंडिया से 450 करोड़, इलाहाबाद यूपी ग्रामीण बैंक से 465 करोड़, सेन्ट्रल बैंक आफ इंडिया से 11.50 करोड़ और भूमि विकास, अर्बन कोपरेटिव बैंक से 498 करोड़ रुपया कर्ज किसानो का है. यह क़र्ज़ किसान क्रेडिट कार्ड और अन्य से लिया गया है.
सपा सुप्रीमो के जन्मदिवस पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ने जो कर्ज माफ़ी की घोषणा की है उसके मुताबिक जिस किसान ने भूमि विकास, सहकारी बैंक से कर्जा लिया है उसका कर्ज इस शर्त के साथ माफ़ होगा कि उसने लिए गए कर्ज का दस प्रतिशत जमा कर दिया हो या फिर अपनी जमीन बैंक के पास गिरवी रखी हो. बुंदेलखंड में भूमि विकास सहकारी बैंक के कर्जदाता मात्र 2217 किसान हैं. यानी बुंदेलखंड के सातों जिलो में किसानों के साथ महज छल ही किया गया है. किसान यही कहते दिख रहे हैं 'अब हमार का हुई, मुख्यमंत्री धोखा दीन है!'
वहीँ जिला प्रशासन ने अधिकारियो को जो किसान क्रेडिट कार्ड का अतिरिक्त टारगेट दिया था उसके लिए क्रेडिट कार्ड कर्ज की सुविधा लेने के लिए जगह-जगह कैम्प बना दिये गए हैं. यानि सरकार की मंशा साफ है कि पहले कर्जा लो और फिर हम कर्ज माफ़ी की छलपूर्ण की गई घोषणा से वोटों की मंदी पर सियासत का खेल करेंगे.
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर किसान बार -बार बार क्यों ठगा जाता है. ये बड़ा सवाल इन अवसरवादी सरकारों से है, जो किसानों को सिर्फ अपना वोट बैंक ही मानती हैं. सरकार को किसान की जिंदगी की रोजमर्रा की उथल-पुथल से कोई लेना-देना नही है. किसानों की कातर निगाहें हर पांच साल में बदलने वाली सरकारों से यही पूछती है 'निजामो! हमें ही क्यों अपनी कुर्सी हथियाने का साधन मानते हो?'
http://www.janjwar.com/2011-05-27-09-00-20/25-politics/3379-baanda-farmar-bundelkhand-ashish-sagar

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