अखिलेश बचा रहे नसीमुद्दीन को ?
लखनऊ। क्या उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री अखिलेश यादव, बहुजन समाज पार्टी के पूर्व कैबिनेट मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दकी को बचाने का प्रयास कर रहे हैं? अगर शिकायतकर्ता आशीष सागर की बातों का यकीन किया जाये तो ऐसा ही है।
बताया जाता है कि नसीमुद्दीन की आय से अधिक सम्पति की जाँच के लिए कल से बाँदा में सतर्कता अधिष्ठान / विजलेंस टीम डेरा डाले हुये है और वहाँ तमाम सरकारी विभागों से मसलन – नगर पालिका, रजिस्ट्रार जमीनों के कागज हेतु, आर.टी.ओ. में पड़ताल में जुटी है। सूत्रों का कहना है कि टीम इसके बाद जनपद बाराबंकी, अमरोहा, लखनऊ, दिल्ली, मुंबई भी जायेगी जहाँ पूर्व मंत्री पर आय से अधिक संपत्तियाँ अर्जित करने के आरोप हैं।
बताया जाता है कि जाँच टीम के सदस्यों में भारत रत्न वार्षऩेय, राम सुबोध शामिल हैं। शिकायतकर्ता आशीष सागर ने बताया कि उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त ने उनकी शिकायत पर इस प्रकरण में सरकार को सी.बी.आई/ प्रवर्तन निदेशालय से ही जाँच करवाने की संस्तुति की है बावजूद इसके मुख्यमंत्री ने राज्य की जाच एजेंसी विजलेंस टीम से जाँच करवाने के आदेश दिए हैं।
सागर का कहना है कि जाँच टीम मुख्यमंत्री के दबाव में सिर्फ खानापूर्ति कर रही है। उनका कहना है कि जाँच के लिये टीम को महज तीन माह का अल्प समय ही दिया गया है ताकि किसी तरह जाँच को मजाक बनाया जा सके। सागर ने सवाल किया कि आखिर क्या वजह है कि चुनाव के पहले मायावती को जेल में डालने वाले बयानों के दम पर बनी सरकार अब सीबीआई से जाँच करवाने के लिए सहमत नहीं है ? वह सवाल करते हैं कि कहीं ये मात्र सियासत का हिस्सा तो नहीं या फिर दो पार्टियों के बीच समझौता हो चुका है ?
शिकायतकर्ता आशीष सागर ने बताया कि उन्होंने विजलेंस टीम को हलफनामा देकर अपने बयान में लिखा है कि वे विजिलेंस की किसी भी जाँच में सहयोग नही करेंगे, क्योंकि लोकायुक्त की सिफारिस को दरकिनार कर मुख्यमंत्री ने सतर्कता विभाग को जाँच दी है। आशीष सागर ने कहा कि अगर सरकार इसी तरह बसपा नेताओं को बचाती रही तो आगामी दिनों में वे बाँदा से लखनऊ तक की न्याय संवाद पद यात्रा पर निकलेंगे। उन्होंने यह बात हलफनामे में भी लिखी है।
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