नसीमुद्दीन सिद्दीकी की मुसीबतें बढ़ी, सतर्कता जाँच के आदेश...क्या होगा ?
लखनऊ : आखिर काफी दबाव के बाद समाजवादी सरकार ने मायावती के करीबी पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ सतर्कता जांच के आदेश दिए हैं। यहाँ ये भी जान लेना उपयुक्त होगा की सिद्दीकी के खिलाफ शिकायत मिलने के बाद प्रदेश के लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा ने अपनी जाँच में पाया था की सिद्दीकी ने अपने अधिकारों का दुरूपयोग किया और आय से कहीं अधिक संपत्ति जुटाई इसके बाद लोकायुक्त ने तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती से सीबीआई या राज्य की किसी सक्षम एजेंसी से नसीमुद्दीन की जाँच कराने की सिफारिश की थी| लेकिन माया ने इसपर कोई ध्यान नहीं दिया उल्टा लोकायुक्त को ही नसीहत दे डाली थी| जब से सपा सरकार बनी है तभी से लोकायुक्त मुख्यमंत्री अखिलेश से नसीमुद्दीन के खिलाफ जाँच की मांग करते रहे हैं अब जाकर सरकार नसीमुद्दीन के खिलाफ सतर्कता जांच करने को राज़ी हुई है|
मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गुरुवार देर शाम सिद्दीकी के विरुद्ध सतर्कता जांच के आदेश दिए। आपको बता दें प्रदेश के बांदा जिले के निवासी आशीष सागर ने नवंबर 2011 में लोकायुक्त से नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ अकूत संपत्ति एकत्र करने की शिकायत दर्ज कराई थी।
शिकायत मिलने के बाद लोकायुक्त ने जब जाँच आरंभ की तो सामने आया कि मंत्री पद पर रहते हुए नसीमुद्दीन ने अपने रसूख के दम पर आय से कहीं अधिक संपत्ति जमा की, पांच साल तक जनता का तो भला नहीं किया हाँ करीबियों और रिश्तेदारों को जमकर जमीनों के पट्टे आवंटित किए। परिवारजनों व कई करीबियों ने नजूल की जमीन भी नहीं छोड़ी। जाँच में ये भी सामने आया की नसीमुद्दीन ने करोड़ो रुपये बेटे अफजल की कंपनियों में निवेश किये हैं।
इसके बाद लोकायुक्त ने अफजल को एक दो बार नहीं बल्कि आठ बार पूछताछ के लिए बुलाया लेकिन वह सिर्फ एक बार ही सामने आया, अफजल ने लोकायुक्त से कहा कि वह कोई लोकसेवक नहीं है लिहाजा उसे पूछताछ के लिए बुलाया नहीं जा सकता। गौरतलब है कि अफजल की पांच कंपनिया दिल्ली , कानपुर और अमरोहा में रजिस्टर्ड हैं। बैलेंस सीट की जाँच में पता चला कि तीन वर्ष में इनकी पूंजी 15.4 लाख से बढ़कर एक करोड़ 66 लाख हो गई जबकि टर्न ओवर 37.68 से घटकर 7.78 से लाख हो गया इससे साफ है कि संबधित दस्तावेजों में गोलमाल किया गया है। इनमें नियमों के विपरित करीब दो करोड़ 23 लाख रुपये कर्ज भी दिखाया गया है। नसीमुद्दीन ने बांदा जिले में अपनी अचल संपत्ति की कीमत 77 लाख 16 हजार दर्शाई है, जबकि इसकी कीमत एक करोड़ तीन लाख से अधिक है। नसीमुद्दीन के भाई, करीबी फिदा हुसैन, रऊफ सिद्दीकी, जुबैरुद्दीन सिद्दीकी ने डिग्री कालेज के नाम पर ग्रामसभा की जमीन पर अवैध कब्जे कर रखे हैं।
आपको याद दिला दें प्रदेश में चल रहे विधान सभा चुनाव के दौरान ही माया मंत्रिमंडल के रसूखदार मंत्री और बसपा के मुस्लिम वोट बैंक के ठेकेदार नसीमुद्दीन सिद्दीकी के विरुद्ध भ्रष्टाचार के मामले में लोकायुक्त ने सीबीआई जाँच की सिफारिश कर दी थी| उत्तर प्रदेश लोकायुक्त ने मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी के बड़े बेटे अफज़ल सिद्दीकी को भी नोटिस जारी कर सवाल किया था कि उनके पास ज्योतिबाफूले नगर में मीट फैक्टरी बनवाने के लिए पैसा कहाँ से आया| फैक्टरी के लिए कब, कहाँ और कैसे जमीन का इंतजाम किया जमीन खरीदने का पैसा कहाँ से आया निर्माण कैसे कराया| लोकायुक्त ने मंत्री पुत्र को जवाब देने के लिए 28 फरवरी 2012 तक की मोहलत दी थी| अपने सबसे जिम्मेदार मंत्री के खिलाफ लोकायुक्त द्वारा की गई जाँच की सिफारिशों पर मुख्यमंत्री मायावती ने एक ओर चुप्पी साध रखी थी, तो दूसरी ओर चुनावी सभाओं में वह बसपा सरकार की न्यायप्रीय और भ्रष्टाचार विरोधी छवि को स्थापित करने की कोशिश कर रहीं|
उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री रहे नसीमुद्दीन और उनके पुत्र के अलावा उनकी एमएलसी पत्नी हुस्ना सिद्दीकी भी आय से अधिक संपत्ति के मामले में शक घेरे में रहीं| सूबे में हर ओर नसीमुद्दीन के नाम कि चर्चा हो रही थी| उसके घोटाले और गोलमाल सबके सामने थे लेकिन इतना कुछ होने के बाद भी मुख्यमंत्री माया नसीमुद्दीन के विरुद्ध कोई कदम नहीं उठा रही थी| उल्टा मायावती ने लोकायुक्त को ही नसीहत दे डाली थी|
आप को बता दें नसीमुद्दीन का बड़ा बेटा कुख्यात शराब व्यवसायी पोंटी चड्डा का काफी करीबी है| कहा जाता है कि अफज़ल चड्डा की गाड़ियों को अपने प्रयोग के लिए रखता है| नसीमुद्दीन ने प्रदेश में पोंटी चड्डा को पैर ज़माने में बड़ी मदद की है चीनी मिलो की बन्दर बाँट में इन बाप बेटो का बड़ा हाथ है इन दोनों ने मिल कर ही चड्डा को जहाँ कौड़ियों के दाम में करोडो की मिलें दिलाई वहीँ पूरे प्रदेश का शराब व्यवसाय पोंटी के कदमो में डाल दिया| जिसके बदले में पोंटी चड्डा ने नसीमुद्दीन और अफज़ल को जम कर उपकृत किया| चड्डा और अन्य स्तरों से पैसा बनाने में सिर्फ ये दोनों ही नहीं इनके मंत्री सचिव सीएल वर्मा भी काफी आगे रहे हैं| सूत्र बताते हैं कि वर्मा की हैसियत लगभग 500 करोड़ है| यही नहीं लखनऊ के आशियाना इलाके में ये जिस घर में रहता है उसके आसपास के कई घर रिश्ते नातेदारो के नाम से खरीद लिए हैं|
सूबे की मुख्यमंत्री रहते मायावती दावा करती रहीं की किसी भी भ्रष्टाचारी को बहुजन समाज पार्टी में नहीं रखेंगी| माया ने ऑपरेशन क्लीन चला बहुत से मंत्रियों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया| यहाँ तक कि अपने खासमखास बाबू सिंह कुशवाहा को भी निकाल बाहर किया और सभी रिक्त पद सिद्दीकी को सौंप दिए| चाहे वह अनंत मिश्र अंटू का स्वास्थ्य विभाग हो या बाबू सिंह कुशवाहा का परिवार कल्याण विभाग हो| इस तरह नसीमुद्दीन के विभागों की संख्या 18 तक पहुंच गई, दिन पर दिन सिद्दीकी मजबूत होते चले गए| इनके साथ ही माया ने अपने 100 विधायकों के टिकट काट जनता को यह सन्देश भी दिया कि उनकी अनदेखी करने वाले बसपा में नहीं रह सकते|
मायावती अपने चुनावी अभियान में इस बात का दावा करती रहीं कि बसपा में किसी भी भ्रष्टाचारी को नहीं रहने दिया जाएगा, यदि किसी को भी किसी भी तरह के भ्रष्टाचार में लिप्त पाया जाता है तो उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी| ठीक इसी दौरान सिद्दीकी अपने बेटे अफज़ल सहित लोकायुक्त जाँच के दायरे में आ जाते है जहाँ लोकायुक्त ने सिद्दीकी को आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में दोषी ठहराते हुए उनके खिलाफ सीबीआई व प्रवर्तन निदेशालय से जांच कराने की मांग कर डाली| वहीँ अफज़ल को नोटिस जारी कर दिया| जिसके बाद मायावती के दावों की हवा निकल गयी| अब जाकर नसीमुद्दीन के खिलाफ कुछ कार्यवाही होने के आसार नज़र आ रहे हैं|
क्या है मामला-
पर्दाफाश आपको पहले भी बता चुका है कि मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी और पत्नी हुस्ना सिद्दीकी के क्यूएफ एजुकेशनल इंस्टीटूट को 2006-07 - 2009-10 के बीच तक़रीबन तीन करोड़ रुपये दान में मिले हैं।वहीँ माया सरकार ने भी ट्रस्ट को 30 लाख रुपये का अनुदान दिया| जिसके बाद यूपी के लोकायुक्त द्वारा इस मामले कि जांच के दौरान डिप्टी रजिस्ट्रार फर्म्स एण्ड सोसाइटीज की रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि मंत्री की ट्रस्ट को करोडो का अनुदान मिला है|
मिली जानकारी के मुताबिक यह ट्रस्ट मंत्री नसीमुद्दीन के पिता और पत्नी के पिता के नाम से बनाया गया है। राजधानी लखनऊ की एक महिला सीमा अग्निहोत्री मंत्री के ट्रस्ट की अध्यक्ष हैं और मंत्री की एमएलसी पत्नी हुस्ना इसकी सचिव हैं। इस ट्रस्ट में सिर्फ सीमा व सिद्दीकी परिवार के ही सदस्य हैं। क्यूएफ एजूकेशनल ट्रस्ट की ओर से डिप्टी रजिस्ट्रार को दी गयी ट्रस्ट की ऑडिटेड बैलेंस शीट के मुताबिक ट्रस्ट को वर्ष 2006-07 में 1,80, 06,128 रुपये, 2007-08 में 64.80 लाख, 2008-09 में 10 लाख, 2009-10 में 41,96,600 रुपये चंदे से मिले। 2009-10 में राज्य सरकार ने भी ट्रस्ट को दो किस्तों में क्रमश: 20 और 10 लाख रुपये अनुदान दिया है। 31 मार्च 2010 को समाप्त होने वाले वर्ष में सोसाइटी का बैलेंस 1,13,88,527 रुपये था|
सिर्फ यही नहीं, सिद्दीकी पर यह भी आरोप है कि उन्होंने बाराबंकी में तक़रीबन 10 करोड़ की कृषि भूमि सिर्फ 43 लाख रुपये में खरीदी है| जो ज़मीन खरीदी गयी उसका भू उपयोग कृषि का था लेकिन ना तो इसे बदलाया गया और भवन का नक्शा पास कराए बिना ही इसका निर्माण करा दिया गया| भूमि खरीद के लिए रूपया कहां से आया अभी पता नहीं चल सका है|
इस पूरे मामले पर हमारा यही कहना है कि नसीमुद्दीन के खिलाफ जो भी जाँच अधिकारी जाँच करे वो पुलिस की उस सहकारिता सेल की तरह ही बिना डरे बिना किसी दबाव के काम करे जिस तरह इसने करोड़ों के लैकफेड घोटाले को न सिर्फ उजागर किया बल्कि सभी आरोपियों को बेनकाब कर जनता को उनका असली चेहरा भी दिखाया|
मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गुरुवार देर शाम सिद्दीकी के विरुद्ध सतर्कता जांच के आदेश दिए। आपको बता दें प्रदेश के बांदा जिले के निवासी आशीष सागर ने नवंबर 2011 में लोकायुक्त से नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ अकूत संपत्ति एकत्र करने की शिकायत दर्ज कराई थी।
शिकायत मिलने के बाद लोकायुक्त ने जब जाँच आरंभ की तो सामने आया कि मंत्री पद पर रहते हुए नसीमुद्दीन ने अपने रसूख के दम पर आय से कहीं अधिक संपत्ति जमा की, पांच साल तक जनता का तो भला नहीं किया हाँ करीबियों और रिश्तेदारों को जमकर जमीनों के पट्टे आवंटित किए। परिवारजनों व कई करीबियों ने नजूल की जमीन भी नहीं छोड़ी। जाँच में ये भी सामने आया की नसीमुद्दीन ने करोड़ो रुपये बेटे अफजल की कंपनियों में निवेश किये हैं।
इसके बाद लोकायुक्त ने अफजल को एक दो बार नहीं बल्कि आठ बार पूछताछ के लिए बुलाया लेकिन वह सिर्फ एक बार ही सामने आया, अफजल ने लोकायुक्त से कहा कि वह कोई लोकसेवक नहीं है लिहाजा उसे पूछताछ के लिए बुलाया नहीं जा सकता। गौरतलब है कि अफजल की पांच कंपनिया दिल्ली , कानपुर और अमरोहा में रजिस्टर्ड हैं। बैलेंस सीट की जाँच में पता चला कि तीन वर्ष में इनकी पूंजी 15.4 लाख से बढ़कर एक करोड़ 66 लाख हो गई जबकि टर्न ओवर 37.68 से घटकर 7.78 से लाख हो गया इससे साफ है कि संबधित दस्तावेजों में गोलमाल किया गया है। इनमें नियमों के विपरित करीब दो करोड़ 23 लाख रुपये कर्ज भी दिखाया गया है। नसीमुद्दीन ने बांदा जिले में अपनी अचल संपत्ति की कीमत 77 लाख 16 हजार दर्शाई है, जबकि इसकी कीमत एक करोड़ तीन लाख से अधिक है। नसीमुद्दीन के भाई, करीबी फिदा हुसैन, रऊफ सिद्दीकी, जुबैरुद्दीन सिद्दीकी ने डिग्री कालेज के नाम पर ग्रामसभा की जमीन पर अवैध कब्जे कर रखे हैं।
आपको याद दिला दें प्रदेश में चल रहे विधान सभा चुनाव के दौरान ही माया मंत्रिमंडल के रसूखदार मंत्री और बसपा के मुस्लिम वोट बैंक के ठेकेदार नसीमुद्दीन सिद्दीकी के विरुद्ध भ्रष्टाचार के मामले में लोकायुक्त ने सीबीआई जाँच की सिफारिश कर दी थी| उत्तर प्रदेश लोकायुक्त ने मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी के बड़े बेटे अफज़ल सिद्दीकी को भी नोटिस जारी कर सवाल किया था कि उनके पास ज्योतिबाफूले नगर में मीट फैक्टरी बनवाने के लिए पैसा कहाँ से आया| फैक्टरी के लिए कब, कहाँ और कैसे जमीन का इंतजाम किया जमीन खरीदने का पैसा कहाँ से आया निर्माण कैसे कराया| लोकायुक्त ने मंत्री पुत्र को जवाब देने के लिए 28 फरवरी 2012 तक की मोहलत दी थी| अपने सबसे जिम्मेदार मंत्री के खिलाफ लोकायुक्त द्वारा की गई जाँच की सिफारिशों पर मुख्यमंत्री मायावती ने एक ओर चुप्पी साध रखी थी, तो दूसरी ओर चुनावी सभाओं में वह बसपा सरकार की न्यायप्रीय और भ्रष्टाचार विरोधी छवि को स्थापित करने की कोशिश कर रहीं|
उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री रहे नसीमुद्दीन और उनके पुत्र के अलावा उनकी एमएलसी पत्नी हुस्ना सिद्दीकी भी आय से अधिक संपत्ति के मामले में शक घेरे में रहीं| सूबे में हर ओर नसीमुद्दीन के नाम कि चर्चा हो रही थी| उसके घोटाले और गोलमाल सबके सामने थे लेकिन इतना कुछ होने के बाद भी मुख्यमंत्री माया नसीमुद्दीन के विरुद्ध कोई कदम नहीं उठा रही थी| उल्टा मायावती ने लोकायुक्त को ही नसीहत दे डाली थी|
आप को बता दें नसीमुद्दीन का बड़ा बेटा कुख्यात शराब व्यवसायी पोंटी चड्डा का काफी करीबी है| कहा जाता है कि अफज़ल चड्डा की गाड़ियों को अपने प्रयोग के लिए रखता है| नसीमुद्दीन ने प्रदेश में पोंटी चड्डा को पैर ज़माने में बड़ी मदद की है चीनी मिलो की बन्दर बाँट में इन बाप बेटो का बड़ा हाथ है इन दोनों ने मिल कर ही चड्डा को जहाँ कौड़ियों के दाम में करोडो की मिलें दिलाई वहीँ पूरे प्रदेश का शराब व्यवसाय पोंटी के कदमो में डाल दिया| जिसके बदले में पोंटी चड्डा ने नसीमुद्दीन और अफज़ल को जम कर उपकृत किया| चड्डा और अन्य स्तरों से पैसा बनाने में सिर्फ ये दोनों ही नहीं इनके मंत्री सचिव सीएल वर्मा भी काफी आगे रहे हैं| सूत्र बताते हैं कि वर्मा की हैसियत लगभग 500 करोड़ है| यही नहीं लखनऊ के आशियाना इलाके में ये जिस घर में रहता है उसके आसपास के कई घर रिश्ते नातेदारो के नाम से खरीद लिए हैं|
सूबे की मुख्यमंत्री रहते मायावती दावा करती रहीं की किसी भी भ्रष्टाचारी को बहुजन समाज पार्टी में नहीं रखेंगी| माया ने ऑपरेशन क्लीन चला बहुत से मंत्रियों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया| यहाँ तक कि अपने खासमखास बाबू सिंह कुशवाहा को भी निकाल बाहर किया और सभी रिक्त पद सिद्दीकी को सौंप दिए| चाहे वह अनंत मिश्र अंटू का स्वास्थ्य विभाग हो या बाबू सिंह कुशवाहा का परिवार कल्याण विभाग हो| इस तरह नसीमुद्दीन के विभागों की संख्या 18 तक पहुंच गई, दिन पर दिन सिद्दीकी मजबूत होते चले गए| इनके साथ ही माया ने अपने 100 विधायकों के टिकट काट जनता को यह सन्देश भी दिया कि उनकी अनदेखी करने वाले बसपा में नहीं रह सकते|
मायावती अपने चुनावी अभियान में इस बात का दावा करती रहीं कि बसपा में किसी भी भ्रष्टाचारी को नहीं रहने दिया जाएगा, यदि किसी को भी किसी भी तरह के भ्रष्टाचार में लिप्त पाया जाता है तो उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी| ठीक इसी दौरान सिद्दीकी अपने बेटे अफज़ल सहित लोकायुक्त जाँच के दायरे में आ जाते है जहाँ लोकायुक्त ने सिद्दीकी को आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में दोषी ठहराते हुए उनके खिलाफ सीबीआई व प्रवर्तन निदेशालय से जांच कराने की मांग कर डाली| वहीँ अफज़ल को नोटिस जारी कर दिया| जिसके बाद मायावती के दावों की हवा निकल गयी| अब जाकर नसीमुद्दीन के खिलाफ कुछ कार्यवाही होने के आसार नज़र आ रहे हैं|
क्या है मामला-
पर्दाफाश आपको पहले भी बता चुका है कि मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी और पत्नी हुस्ना सिद्दीकी के क्यूएफ एजुकेशनल इंस्टीटूट को 2006-07 - 2009-10 के बीच तक़रीबन तीन करोड़ रुपये दान में मिले हैं।वहीँ माया सरकार ने भी ट्रस्ट को 30 लाख रुपये का अनुदान दिया| जिसके बाद यूपी के लोकायुक्त द्वारा इस मामले कि जांच के दौरान डिप्टी रजिस्ट्रार फर्म्स एण्ड सोसाइटीज की रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि मंत्री की ट्रस्ट को करोडो का अनुदान मिला है|
मिली जानकारी के मुताबिक यह ट्रस्ट मंत्री नसीमुद्दीन के पिता और पत्नी के पिता के नाम से बनाया गया है। राजधानी लखनऊ की एक महिला सीमा अग्निहोत्री मंत्री के ट्रस्ट की अध्यक्ष हैं और मंत्री की एमएलसी पत्नी हुस्ना इसकी सचिव हैं। इस ट्रस्ट में सिर्फ सीमा व सिद्दीकी परिवार के ही सदस्य हैं। क्यूएफ एजूकेशनल ट्रस्ट की ओर से डिप्टी रजिस्ट्रार को दी गयी ट्रस्ट की ऑडिटेड बैलेंस शीट के मुताबिक ट्रस्ट को वर्ष 2006-07 में 1,80, 06,128 रुपये, 2007-08 में 64.80 लाख, 2008-09 में 10 लाख, 2009-10 में 41,96,600 रुपये चंदे से मिले। 2009-10 में राज्य सरकार ने भी ट्रस्ट को दो किस्तों में क्रमश: 20 और 10 लाख रुपये अनुदान दिया है। 31 मार्च 2010 को समाप्त होने वाले वर्ष में सोसाइटी का बैलेंस 1,13,88,527 रुपये था|
सिर्फ यही नहीं, सिद्दीकी पर यह भी आरोप है कि उन्होंने बाराबंकी में तक़रीबन 10 करोड़ की कृषि भूमि सिर्फ 43 लाख रुपये में खरीदी है| जो ज़मीन खरीदी गयी उसका भू उपयोग कृषि का था लेकिन ना तो इसे बदलाया गया और भवन का नक्शा पास कराए बिना ही इसका निर्माण करा दिया गया| भूमि खरीद के लिए रूपया कहां से आया अभी पता नहीं चल सका है|
इस पूरे मामले पर हमारा यही कहना है कि नसीमुद्दीन के खिलाफ जो भी जाँच अधिकारी जाँच करे वो पुलिस की उस सहकारिता सेल की तरह ही बिना डरे बिना किसी दबाव के काम करे जिस तरह इसने करोड़ों के लैकफेड घोटाले को न सिर्फ उजागर किया बल्कि सभी आरोपियों को बेनकाब कर जनता को उनका असली चेहरा भी दिखाया|
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