Wednesday, February 22, 2012

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लखनऊ [जाब्यू]। लोकायुक्त की जांच ने अब मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी व उनकी एमएलसी पत्नी हुस्ना सिद्दीकी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। जांच में सिद्दीकी दंपत्तिके पास आय से कई गुना अधिक संपत्तिका खुलासा हुआ है। लोकायुक्त ने प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री से इसकी सीबीआइ या प्रवर्तन निदेशालय से जांच कराए जाने की सिफारिश की है।
दरअसल नसीमुद्दीन के खिलाफ लोकायुक्त तीन शिकायतों पर जांच कर रहे हैं। करीब ढाई माह पहले नौ दिसंबर को जगदीश नारायन शुक्ला ने लोकायुक्त से नसीमुद्दीन व उनकी पत्नी हुस्ना के खिलाफ शिकायत करते हुए कई आरोप लगाए थे। लोकायुक्त की जांच में कई आरोप सही पाए गए हैं। लोकायुक्त न्यायमूर्ति एनके मेहरोत्रा ने बताया कि उन्होंने आरोपों की 929 पेज की जांच रिपोर्ट संस्तुतियों के साथ बुधवार को मुख्यमंत्री को भेज दी है। रिपोर्ट में उन्होंने कहा है कि हुस्ना के नाम बाराबंकी, लखनऊ व बांदा में जो संपत्तिहैं। नसीमुद्दीन ने जिन बेनामी संपत्तिमें अपना धन लगाया है वह उनकी आय के ज्ञात स्रोत से अधिक लगती है। आयकर रिटर्न के मुताबिक सिद्दीकी दंपत्तिकी चार वर्ष की आय करीब 1.93 करोड़ रुपये रही है जबकि लोकायुक्त का कहना है कि उन्होंने उक्त दोनों की जिन संपत्तिायों का मूल्यांकन संबंधित विभागों से कराया है वे ही न्यूनतम 50 करोड़ रुपये की बतायी गई हैं।
न्यायमूर्ति मेहरोत्रा ने बताया चूंकि उनके पास इस तरह के मामले की विस्तृत जांच करने के लिए कोई जांच एजेंसी नहीं है इसलिए संपत्तिायों के क्रय करने में जो तथाकथित कालाधन लगाया गया है उसकी जांच किसी निष्पक्ष केंद्रीय एजेंसी से होनी चाहिए। जांच में अवैध धन शोधन [मनी लांड्रिंग का मामला] पाए जाने पर सिद्दीकी के विरूद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम व धन-शोधन निवारण अधिनियम [मनी लांड्रिंग एक्ट] के तहत कार्रवाई की जाए। लोकायुक्त ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री से प्रकरण को सीबीआइ या प्रवर्तन निदेशालय जैसी केंद्रीय जांच एजेंसी को सौंपते हुए उससे जांच कराने की सिफारिश की है। सिफारिश पर क्रियान्वयन के लिए एक माह की मोहलत दी गई है। लोकायुक्त ने बताया मंत्री के खिलाफ अन्य शिकायतों में भी कुछ आरोप हैं जो इसमें भी है। उनके बारे में दूसरी रिपोर्ट में सिफारिश की जाएगी।
शिकायत में यह थे प्रमुख आरोप
नसीमुद्दीन सिद्दीकी व हुस्ना सिद्दीकी पर पद का दुरुपयोग कर आय से अधिक संपत्तिअर्जित करने, क्यू एफ एजूकेशनल ट्रस्ट के नाम पर बाराबंकी में कृषि भूमि दर्शाते हुए अकूत संपत्तिखरीदने, ट्रस्ट के नाम करोड़ों का दान लेने, संपत्तिको छिपाते हुए झूठा शपथ पत्र देने, परिवारीजनों व रिश्तेदारों को पहाड़ व बालू के पट्टे करवाने, नजूल भूमि का अनियमित तरीके से फ्रीहोल्ड कराने, बुंदेलखंड पैकेज से रिश्तेदारों को फायदा पहुंचाने आदि के आरोप लगाए गए थे।
बुंदेलखंड विकास निधि के अनुदान देने पर भी उठाए सवाल
लखनऊ। बुंदेलखंड क्षेत्र विकास पैकेज के तहत कृषि यंत्रों के लिए अनुदान देने की प्रक्रिया पर लोकायुक्त ने सवाल उठाए हैं। लोकायुक्त का कहना है कि अनुदान देने में निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। लोकायुक्त को अनुदान देने में अनियमितता में नसीमुद्दीन की तो सीधे तौर पर संलिप्तता नहीं मिली है लेकिन उन्होंने कृषि मंत्री होने के नाते दायित्व का निर्वाह न करने का जिम्मेदार माना है। लोकायुक्त का कहना है कि पैकेज की धनराशि के खर्च करने में गड़बड़ी की किसी बड़ी स्वतंत्र जांच एजेंसी से जांच करायी जानी चाहिए।
इन बिन्दुओं पर जांच करे एजेंसी
लखनऊ। लोकायुक्त ने जांच एजेंसी से खासतौर से छह बिन्दुओं पर विस्तृत जांच कराए जाने की सिफारिश की है। कहा गया है कि जांच एजेंसी क्यूएफ शिक्षण संस्थान को चेक, ड्राफ्ट व नकद धनराशि देने वालों के बारे में पता करे और उनके धन के स्रोत की जांच करे। बाराबंकी के फतेहपुर तहसील में संस्थान की भूमि का वास्तविक मूल्य पता करने के लिए उन व्यक्तियों से जांच की जाए जिन्होंने विक्रय विलेख के माध्यम से 57 बीघा से ज्यादा भूमि हुस्ना सिद्दीकी [सचिव क्यूएफ शिक्षण संस्थान] को बेची। फतेहपुर के निन्दौरा गांव में पांच वर्ष में हुए सभी बैनामों की जांच कर यह पता किया जाए कि वहां किसने कहां से भूमि खरीदी है। नसीमुद्दीन के भाई जमीरुद्दीन की पत्नी अकरमी बेगम व उनकी पुत्रवधू अर्शी द्वारा बांदा के लड़कापुरवा में खरीदी गई दो हेक्टेयर भूमि के वास्तविक मूल्य व उसके स्त्रोत की जांच की जाए। जेपी नगर के तहसील धनौरा के गांव बछराऊ में एक्यू फ्रोजन फूड प्राइवेट लिमिटेड कंपनी [मीट फैक्ट्री] की सभी भूमि के क्रय-विक्रय की धनराशि व भवन निर्माण में खर्च धनराशि के बारे में जांच करके यह पता लगाने के लिए भी लोकायुक्त ने कहा है उसमें किसका धन लगा है और उसकी आय का स्रोत क्या रहा है।

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