Friday, February 11, 2011

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" ईको फ्रैन्डली (पर्यावरण मित्र) शुभ विवाह, कार्बनिक उत्सर्जन एवं क्लाइमेट चेन्ज की एक अनोखी पहल इस आधुनिकता के दौर में "

शुभ विवाह- चिरंजीव संगम सिंह मांडवी परिणय वृक्ष कुमार
दिनांकः- 12.12.2009
वरपक्षः- सदस्य
  1. चिरंजीव संगम सिंह पुत्र श्री नरेन्द्र सिंह, ग्राम मटौंध जनपद- बांदा
  2. श्री बृजेष सिंह (लड़के के चाचा जी) पूर्व चेयरमैन मटौंध/सदस्य ह्यूमन राइट्स काउन्सिल आफ इण्डिया।
  3. श्री युवराज सिंह (एम0एल0सी0) विधान परिषद सदस्य उत्तर प्रदेष।
  4. श्री सीरजध्वज सिंह (वरिष्ठ सपा नेता) बांदा।
  5. श्री कुषवध्वज सिंह (पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष/सपा नेता) बांदा।
  6. दिनेश सिंह बांगड़ी (भोजपुरी सिने अभिनेता) लड़के का मामा।
कन्या पक्षः- सुकन्या माण्डवी पुत्री श्री जगरूप सिंह, ग्राम पचपहरा, थाना कबरई जिला महोबा, उ0प्र0
आमंत्रित विषिष्ट अतिथि गणः-
  1. आषुतोष त्रिपाठी जीतू (पूर्व जिलाध्यक्ष एवं वरिष्ठ भाजपा नेता) बांदा।
  2. श्री के0के0 भारती पूर्व जिलाध्यक्ष जिला पंचायत बांदा।
  3. शरद चैधरी (जिलाध्यक्ष विहिप) बांदा।
  4. कु0 गुंजन मिश्रा (सामाजिक कार्यकर्ता) रांची, झारखंड।
  5. श्री वी0पी0 सिंह, सदस्य आई0आई0सी0एन0 दिल्ली।
  6. डा0 अरविन्द खरे (सामाजिक कार्यकर्ता) जनपद महोबा।
  7. श्री बलजीत सिंह (जिला उद्यान अधिकारी) जनपद महोबा।
  8. डा0 सुनीत वियोगी (अन्तर्राष्ट्रीय मौन साधना केन्द्र) महोबा।
विवाह आयोजक मण्डल-
  1. श्री पुष्पेन्द्र भाई (बुन्देलखण्ड भविष्य परिषद) बांदा।
  2. श्री आषीष सागर (प्रवास सोसाइटी), पेटा सदस्य बांदा।
  3. श्री अम्बरीष श्रीवास्तव (ग्राम उन्मेष संस्थान) बांदा।
  4. डा0 जनार्दन त्रिपाठी (उत्थान संस्थान) बांदा।
  5. श्री भानुप्रताप सिंह (सामाजिक कार्यकर्ता) बांदा।
  6. श्री पंकज श्रीवास्तव (भारत प्रकृति सेवा आश्रम) महोबा।
’’ईको फ्रैन्डली (पर्यावरण मित्र) शुभ विवाह, कार्बनिक उत्सर्जन एवं क्लाइमेट चेन्ज की एक अनोखी पहल इस आधुनिकता के दौर में’’
आज हम सामाजिक परिवेष में जहां पर्यावरण प्रदूषण एवं कार्बनिक उत्सर्जन को कम करने के लिए दिनांक 06 दिसम्बर 2009 से 18 दिसम्बर 2009 के बीच विष्व के 192 देषों के पन्द्रह हजार से अधिक प्रतिनिधि, सोषल एक्टिविस्ट, पर्यावरण विद् सामाजिक कार्यकर्ता एक मंच पर बैठकर कोपेनहेगन (डेनमार्क) में एक साझा मंत्रणा कर रहे हैं, अपने अस्तित्व एवं जलवायु परिवर्तन की चर्चा को लेकर वहीं इस 12 दिन के प्रवास में एक ऎसा वातावरण छोड़ जायेंगे जिसमें 40 हजार 500 टन कार्बनडाई ओक्साइड का उत्सर्जन हो रहा होगा कोपेनहेगन में मौजूद विलासता वादी आधुनिक संसाधनों के कारण। इसके जिम्मेदार भी ऐसे लोग हैं जो जलवायु परिवर्तन और एक आपसी समझ, अध्ययन, चिंतन के साथ सम्पूर्ण मानव अस्मिता तथा अन्य जीव मण्डल के प्राणियों के भी संरक्षण के लिये चिन्तित है लेकिन वहां उपलब्ध आधुनिक संसाधनों से पूर्ण माहौल क्या वास्तव में कार्बनडाई आक्साइड के उत्सर्जन को कम कर पायेगा। यह एक प्रष्न चिन्ह है उन सामाजिक कार्यकर्ताओं, राजनीतिज्ञ और पर्यावरण विदों के लिये।
ऐसे ही माहौल में दिनांक 12 दिसम्बर 2009 को जब सारे विष्व में आधुनिक विवाह समारोह भीड़भाड़, मंहगे संसाधनों, कार्बनिक उत्सर्जन पूर्ण माहौल में हो रहे थे, तभी एक छोटा सा गांव अपने साहसिक पहल के साथ चल पड़ा सारे विष्व के समुदाय को और कोपेनहेगन में बैठे जलवायु परिवर्तन के शुभचिन्तकों को यह सन्देष देने के लिए कि आइये पिछले 6 सालों से आकाल, भुंखमरी, पलायन, आत्महत्या, बेरोजगारी, कृषि विनाष और प्रकृति के साथ किये जा रहे मानवीय बलात्कार के साथ अपने एक अनोखे विवाह की रस्मों को निभाने के चलते।
बांदा जनपद के ग्राम मटौंध के एक ऐसे बाहुबलि परिवार जो कि पिछले 2 दषकों से बांदा की राजनीतिक परिवेष में और उत्तर प्रदेष की राजनीति में अपना हस्ताक्षेप रखता है। ये परिवार किसी संसाधनों का भूखा नहीं है। आज के सारे साधन, आधुनिक हथियार, मंहगी गाड़ियां जिनके पास बेतहाषा संख्या में उपलब्ध हो सकती हैं, और जब ऐसा परिवार ऐसी पहल करे जो औरों के लिए एक सन्देष बन जाये तो मजबूरन हजारों युवाओं को और पर्यावरण से सम्बन्धित समस्त मानव श्रंखला को सोंचने के लिए विवष करेगी कि क्यों न हम भी ऐसा ही कुछ कर डालें।
 
चिरंजीव संगम सिंह पुत्र नरेन्द्र सिंह उम्र 24 साल का विवाह कु0मांडवी पुत्री श्री जगरूप सिंह ग्राम पचपहरा, थाना कबरई जनपद- महोबा के साथ बुन्देलखण्ड के मध्य प्रदेष- उत्तर प्रदेष के ह्रदय बिन्दु मटौंध में पर्यावरण मित्र के माहौल में सम्पन्न हुआ। अगर मैं विवाह में की गई रस्मों और संस्कारों की चर्चा यहां न करूं तो यह उन युवा जोड़ों के साथ न्याय नहीं होगा जिन्होने इस जुनून को जन्म दिया। कन्या पक्ष से फलदान में वर पक्ष को मटौंध तालाब के सिंघाड़े प्रकृति पकवान के रूप में सप्रेम भेंट किये गये जिनके साथ महोबा का प्रसिद्ध पान, बांदा जनपद में उपलब्ध शजर पत्थर जेवरात के रूप में दिया गया। वहीं विवाह के दिन सुबह जब दोपहर 12 बजे से लड़के का निकासी संस्कार शुरू हुआ तो सारे आसपास के गांवों के किसान, महिलायें, सामाजिक कार्यकर्ता, राजनीतिज्ञ और मीडिया चैनल में एक कौतूहल मचा हुआ था कि आंगे क्या होने वाला है। डा0 अषोक कुमार अवस्थी (प्राचार्य) बामदेव संस्कृत महाविद्यालय और 11 बाल ब्राम्हणों ने प्रकृति के 4 मित्र जिनमें पीपल, बरगद, नीम, आंवला लड़के को महोबा जनपद के जिला उद्यान अधिकारी श्री बलजीत सिंह के द्वारा गृह आंगन में लगाने के दिये । पौध रोपण के बाद उपस्थित महिलाओं के जन समूह ने अपने पारम्परिक वाद्यंत्रों की धुन में सुरताल का संगीत कार्यक्रम आयोजित किया। बारातियों के लिये आस-पास के गांवों से 151 बैलों से सजी हुई बैलगाड़ियां मंगायी गई वहीं कन्या के विदाई के लिये पारम्परिक पालकी। मटौंध से 3 किमी0 की दूरी पर स्थित ग्राम पचपहरा में बारात जानी थी। दोपहर 2 बजे सारे लोगों की उपस्थिति में प्रकृति मित्र का प्रातः काल भोजन बाटी चोखा, सरसों का साग, चने की भाजी और मठ्ठे की छांछ के साथ भोजन प्रक्रिया सम्पन्न हुईं। बारात की निकासी के समय सारे गांवों की भीड़ ऐसे उमड़ पड़ी मानो बुन्देलखण्ड में जलवायु परिवर्तन का एक अभियान चल पड़ा हो।
 
महत्वपूर्ण ये है कि जहां अब तक भारतीय सरकारो ने हम दो हमारे दो का नारा दिया जनसंख्या के कम करने के लिये वहीं इस विवाह में चि0 संगम सिंह ने और आयोजक मंडल ने हम दो हमारे चार का नारा दिया। हम दो हमारे चार का अर्थ है कि पति पत्नी और हमारे चार वृक्ष जिन्हे हम आने वाली पीढ़ी के लिये बच्चों की तरह पालेंगे। ताकि वे शुद्ध वायुमण्डल में जीवन को अपने सकारात्मक लक्ष्यों की प्रतिपूर्ति के साथ जी सकें। बारात रवाना हुई। शाम 6:30 बजे लगभग 600 लोगों की जनसंख्या ग्राम पचपहरा थाना कबरई जनपद महोबा में पहुंची। बारात में विषिष्ट अतिथि जो, कि कन्या और वर पक्ष दोनो से थे वर्तमान विधान परिषद एम0एल0सी0 कुं0 युवराज सिंह, वरिष्ठ सपा नेता कुं0 सीरज ध्वज सिंह, सोषल एक्टिविस्ट कुं0 गुंजन मिश्रा (रांची झारखण्ड), भोजपुरी सिने अभिनेता दिनेष सिंह बांगड़ी रहे। वहीं बुन्देलखण्ड की 11 स्वयं सेवी संगठन इस आयोजन मण्डल के सूत्र धार थे। कन्या पक्ष से दहेज में एक मात्र तुलसी का पौधा (बिरवा) में प्राप्त हुआ। जिसे सुकन्या मांडवी अपनी पालकी में ममता के आंचल के साथ समेटकर वर पक्ष के घर ले आयी। जिस दिन सुकन्या प्रथम बार गर्भवती होगी। उस घड़ी में एक बरगद का पौधा उसके ससुराल आंगन में फिर रोपा जायेगा। जिससे वट वृक्ष की तरह आने वाला नया मेहमान वायुमण्डल की सुद्धता और दीर्घ आयु का प्रेरक हो। इस शादी में ऐसा कोई भी संसाधन उपयोग में नहीं लाया गया जो कि प्रकृति विरोधी हो, कार्बनिक उत्सर्जन का घटक हो, जैसे आम तौर पर विवाहों में होने वाली आतिषबाजी, फायरिंग, आधुनिक गाड़ियां आदि। सारा कुछ दुनिया को लोगों को ये समझाना था। कि अगर हम अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल छोटे-छोटे कार्यों से भी कुछ त्याग कर सकें अर्थात वापस डाउन टू अर्थ (क्लाईमेट चेन्ज), जीवन शैली को अपनाते चलें तो एक महत्वपूर्ण परिवर्तन हो सकता है। जलवायु को शुद्ध करने व और पर्यावरण को बचाने में। इस विवाह में किसानों का मित्र देषी हल, गौ माता का भी चि0 संगम सिंह ने हल्दी और चंदन से पूजन किया तथा सभी आमंत्रित मेहमानों को एक संकल्प दिवस के रूप में अपने विवाह में आने के लिये सधन्यवाद् दिया।
छोटी छोटी गतिविधियां समस्याओं का हल हैं।
अगर चेत जाऐं आज तो सुरक्षित हमारा कल है।।
प्रेषक
आषीष सागर

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