Wednesday, November 23, 2011

Prawas
 

गायब होती जा रही हैं ‘सोन चिरैया’

बांदा।
Story - Nature climate 
Have been going missing Son birds bundelkhand
भंवरों के अतिरिक्त एक चिड़िया भी है, जो सिर्फ फूलों का रस चूसती है। इसका नाम है ‘सोन चिरैया’। बुंदेलखंड में कहीं-कहीं इसे ‘श्याम चिरैया’ के नाम से भी जाना जाता है। अक्सर फुलवारियों में दिखने वाली यह चिड़िया अब गायब होती जा रही है।

आमतौर पर भंवरे, मधुमक्खी और तितलियों को ही फूलों से निकलने वाले रस ‘मकरंद’ पर जीवित रहने वाला माना जाता है, लेकिन ‘सोन चिरैया’ या ‘श्याम चिरैया’ का भोजन भी सिर्फ फूलों का रस यानी ‘मकरंद’ है। पहले अक्सर ए चिड़िया फुलवारी (फूलों की बगिया) में दिख जाती थीं, लेकिन अब बहुत कम ‘सोन चिरैया’ नजर आती हैं।

इस चिड़िया का वजन 10-20 ग्राम होता है। श्याम रंग की इस चिड़िया के गले में सुनहरी धारी होती है, जो सूर्य की किरण पड़ते ही सोने जैसा चमकती है। रंग और लकीर की वजह से ही इसे ‘सोन चिरैया’ या ‘श्याम चिरैया’ कहा जाता है। इसकी पूंछ भी चोंच की तरह नुकीली होती है और जीभ काले नाग की तरह। अपनी लम्बी जीभ को सांप की तरह बाहर-भीतर कर वह फूलों का रस चूसती है।

कभी फूलों की खेती करने वाले बांदा जनपद के खटेहटा गांव के बुजुर्ग मइयाद्दीन माली कहते हैं, ‘सोन चिरैया का आशियाना फुलवारी है। बुंदेलखंड में फूलों की खेती अब बहुत कम की जाती है। यही वजह है कि इन चिड़ियों की संख्या में कमी आई है।’

वहीं कुछ बुद्धिजीवियों का कहना है, ‘गांवों से लेकर कस्बों तक दूरसंचार की विभिन्न कम्पनियों ने टावरों का जाल बिछा दिया है। इनसे निकलने वाली किरणों की चपेट में आकर बड़े पैमाने पर चिड़ियों की मौत हो रही है। ‘सोन चिरैया’ की संख्या में कमी की यह बहुत बड़ी वजह है।’

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