Sunday, November 06, 2011

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 आस्था पर चोट करते ब्लास्टिंग के धमाके
 अमोनियम नाइट्रेट, ईडी0 सैल से कराई जा रही छः इंच मोटी ब्लास्टिंग
 200 मीटर ऊंचे पहाड़ पर कुंआ और कुंए में 30 फुट पर मीठा पानी
 ग्राम जुझार, बरी के सैकड़ों किसानों ने मन्दिर और कुंए को बचाने के लिए शुरू किया अखण्ड कीर्तन

आशीष सागर

बुन्देलखण्ड- पानी और प्रकृति की अकूत सम्पदा को यूं तो बुन्देलखण्ड में दो दशक से लूटा जा रहा है। बेबस किसान, फटती- सिमटती बुन्देलखण्ड की धरती, उजड़ते खेत और बीमार होते मजदूरों के बीच बेखौफ पनपता है बांदा, चित्रकूट, महोबा की सबसे बड़ी पत्थर मण्डी में खनन माफिया। दौलत ही जिनके लिए आस्था, विलासता, जीवन के क्षणिक सुखों को भोगने का साधन है उन दबंग लोगों के लिए आम कृषि रोजगार किसान से जुड़े पहलू मायने नहीं रखते हैं।
जनपद बांदा और महोबा की सीमा से लगाकर ग्राम जुझार अपने संघर्ष के इतिहास को पुनर्जीवित कर रहा है। दुःख, बदहाली इस गांव की किस्मत है जो घूम फिरकर ग्रामीणों को उनकी गरीबी का एहसास कराती है। कभी अर्जुन सहायक बांध परियोजना में विस्थापित होने की जिल्लत तो कभी मुआवजे को लेकर आत्मदाह करते रामविशाल कुशवाहा जैसे किसान।
ग्राम जुझार और बरी के बीच स्थापित है बड़ा पहाड़। 700 एकड़ (लगभग 283 हे0) की परिधि में फैले बड़ा पहाड़ की अजीबो गरीब कहानी है। गांव के बड़े बुजुुर्ग बताते हैं कि जुझार कभी इस पहाड़ के ऊपर बसता था। रहवासियों के बनाये हुए घर और पत्थर चूने की मोटी मोटी दीवारें इस बात की तस्दीक भी करती हैं। वर्ष 2011 माह जुलाई बीतने के साथ ही बड़ा पहाड़ को खनन माफियाओं के हवाले कर दिया गया। जनपद बांदा और महोबा के कांग्रेसी नेता, दबंग ठेकेदार अवैध प्रतिबन्धित बारूद (अमोनियम नाइट्रेट और ईडी0 सैल) से दिन रात छः इंच चैड़ाई के होल में ड्रिल मशीनों द्वारा कुंतलों बारूद भरकर ब्लास्टिंग करा रहे हैं।
जार-जार आंसू बहा रहे गांव के बुजुर्गों का कहना है कि पहाड़ के ऊपर बना 200 साल पुराना मन्दिर ग्राम वासियों की आस्था का केन्द्र है। नवजात शिशुओं के मुण्डन संस्कार इसी मन्दिर से कराये जाते हैं। पहाड़ के नीचे स्थापित रहे हरदौल लाला देव स्थान को पहले ही ब्लास्टिंग से उड़ाया जा चुका है। गांव वालों की मान्यता है कि हरदौल लाला देव स्थान में गांव के शादी ब्याह से लौटने वाली नव वधू के थपा (हाथ के निशान) इसी स्थान पर लगवाये जाते रहे हैं। मन्दिर के करीब 100 मीटर की दूरी पर स्थापित कुंए को देखकर सूखे बुन्देलखण्ड के निशान सीने से काफूर हो जाते हैं कि बुन्देलखण्ड में तो पहाड़ों पर भी पानी है। 200 मीटर ऊंचे पहाड़ मंे कुंए की तलहटी पर 30 फुट पर मीठा पानी मिलना जल संकट को झेल रहे बुन्देलखण्ड में निश्चित ही भूगर्भ वैज्ञानिक और पुरातत्व विभाग के लिए शोध का विषय हो सकता है। 2 दर्जन से अधिक शिकायतों के दस्तावेज गांव वालों के शब्दों मंे प्रशासनिक अमले के पास बुन्देलखण्ड मंे चल रहे खनन कारोबार के विरोध में कूड़ेदान की शोभा होंगे। 04 अक्टूबर 2011 से बड़ा पहाड़ पर की जा रही अवैध ब्लास्टिंग के विरोध में गांव वाले लामबन्द हैं। उनकी मांगे हैं कि कृषि जमीन पर स्थापित पट्टेदारों के पट्टे निरस्त किये जायंे। कृषि जमीन पर लगाये जा रहे क्रशर हटाये जायें। अवैध बारूद अमोनियम नाइट्रेट और ईडी0 सैल से ब्लास्टिंग न करायी जाये। बड़ा पहाड़ को पुरातत्व विभाग अपने सर्वेक्षण में लेकर मन्दिर, कुंए, बस्तियों के अवशेषों को संरक्षण प्रदान करें। बुन्देलखण्ड में लगातार सूखे से बरबाद हो रहे किसान के लिए जल स्रोत बने पहाड़ को बचाया जाय।
अखण्ड कीर्तन में बैठे गुलाब सिंह राजपूत, पंकज सिंह परिहार (गुगौरा), राजेन्द्र कुमार, रूप सिंह, रोहित सिंह, जय सिंह, अवध बिहारी, ईश्वर दास, भगवती कहार, सिद्धा यादव, साहब सिंह, जीवन यादव, नीमा देवी, प्रियंका, गायत्री, बसंती देवी, अच्छेलाल, नरेन्द्र, रज्जन कहार, राम प्रसाद नाई आदि ने कहा है कि हम जाने दे देंगे लेकिन ब्लास्टिंग नहीं करने देंगे।
उधर बुन्देलखण्ड के बांदा, चित्रकूट, महोबा क्षेत्रों में खनन माफियाओं के खिलाफ और पर्यावरण संरक्षण के मुहिम में किसानों के साथ संघर्ष कर रहे प्रवास सोसाइटी ने लगातार बड़ा पहाड़ के किसानों को पीछे नहीं हटकर आन्दोलन करते रहने की अपील की है।
गौरतलब है कि प्रवास सोसाइटी बुन्देलखण्ड के खनन माफियाओं के सफाये के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिट नं0-70485/2010 के जरिए जनहित याचिका से कानूनी हक और किसानों की खुशहाली के लिए प्राकृतिक संसाधनों के बचाव में पक्षधर है।

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