Friday, October 29, 2010

आधुनिक भारत का अनूठा तीर्थ है उड़वाहा

जब पूरी दुनिया की नजर राष्ट्रमंडल खेलों की वजह से दिल्ली पर थी। जहां 33,000 करोड़ रुपए का खेल चल रहा था। उसी दौरान ग्वालियर और भोपाल की मीडिया की नजर शिवपुरी पर आ टिकी थी। यहां का निहारगढ़ ‘पीप्पली लाईव’ को जीवन्त कर रहा था। बड़ी बड़ी गाड़ियों से पत्रकार-राजनेता-सामाजिक कार्यकर्ता भूख से हुई मौत को रिपोर्ट करने के लिए इकट्ठे हो रहे थे।.ये एक बानगी है की आज भी क्या लाखो लोग भोजन का अधिकार पा जा रहे है अगर हा तो फिर ये पीपली लाइव कैसा है ये तस्वीर हमारे ब्लॉग मित्र आशीष कुमार अंशु  जी के माध्यम से ली गई है जो की भुखमरी की नजरो को काफी हद तक दिखलाने में कामयाब है वास्तव में आज भी हम एक बेबुनियादी ढ़ोते हुए लोकतंत्र को ही जीते 
छले आ रहे है जहा हर पल ११ करोड़ लोगो का जीवन बदहाली और भुखमरी में ही गुज़रता है कुछ ऐसा ही है हमारा बुंदेलखंड जहा की आत्महत्या का ग्रामीण छेत्रो में होना मतलब कर्ज या भुखमरी है !

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