बदलते हालात ने इन्हें भिखारी बना दिया
मित्रो ये ताजा हालत है बांदा जनपद के और वो भी एक वी आई पी एरिया के जहा से प्रति दीन कई सरकारी अधिकारी अपनी बड़ी बड़ी आखो से इनके दर्द को नहीं देख पाते है और वो भी ऐसे लोग है जोकि समाज को बदलने की कवायद में खुद को जन पार्तिनिधि की भूमिका में आगे पाते है ये दोनों ही महिलाये पिछले २७ सालो से अपने परिवारों से बेदखल और भीख मागकर अपना जीवन कट रही है, न ही इनके पास कोई सरकारी मदद है और न ही अपनों का साया आखिर ये विकास के कोन से परतिमान है जिनको आज बुंदेलखंड की बदहाली के लीये जाना जाता है , ऐसे ही बेतहासा दर्द को अपने दिलो में समेटे कुसुम्काली और शिवदेवी जिंदा लासो में ज़िन्दगी के कुछ और साल गुजरने की हिम्मतो के साथ जी रही है , सलाम है इनकी भूख को बर्दास्त करने की ताकत और जुल्म को सहने की हिम्मत को !
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