Friday, June 18, 2010

भोपाल गैस त्रासदी 2-3 दिसंबर 1984

भोपाल गैस त्रासदी 2-3 दिसंबर 1984
यह दुनिया की ही नहीं बल्कि मानवता की भी सबसे भयानक ओद्योगिक त्रासदियो में से एक पहली और जुदा घटना क्रम होग, Uniyan karbaid karporesan ( U,C.C.) की सहायक कम्पनी Uniyan India limited ( U.C.I.L.) के स्वामित वाले कीटनासक संयंत्र में संगृहीत लगभग 40 टन मिथाइल आइसोसयानेट ( M.I.C.) गैस का रिसाव हुआ था .जिसमे 15 हजार मोते और पाच लाख लोग हताहत हुए थे, इन की कीमत तत्कालीन सरकार ने मुआवजे के रूप में महज 713 करोड़ रूपये ही आकी थी ,वो भी उन परिवारों की जिनका अपना सब कुछ इस मानवीय त्रासदी में लुट चुका था , इसके आलावा इस कांड के तीन दिन बाद ही 7 दिसंबर 1984 को Uniyan karbaid के तत्कालीन प्रमुख वारेन एंडरसन ने भारत से भागने के सकेत मिलते ही जो बयान दिए थे की " नज़रबंदी या कोई क़ानूनी गिरफ़्तारी नहीं अथवा जमानत भी नहीं, मै घर जाने के लीये बिलकुल भी आजाद हू, यह अमेरिका का कानून है, शुक्रिया भारत " वो ये तो साबित ही करता है की किस तरह से तत्कालीन मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री अर्जुन सिंह और केंद्र की सरकारों ने कोर्ट व न्यायालय को पंगु बना दिया था अब जबकि 25 सालो बाद उन लाखो लोगो को खैरात के रूप में ही फैसला मिला तो सिर्फ अपराधियों को 2 साल की सजा ! क्या यह सारी दुनिया को काल मार्क्स के उस कथन की हकीकत नहीं बतलाता " राज्य शोसड का पिता है " 
 हम एक आम आदमी की तल्खियत को महसूस करते हुए उन जन शहीदों को नमन करते है .

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